वायुसेना के एक अधिकारी ने सोमवार को कहा कि पवित्र अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने के बाद बचाव एवं राहत कार्य में सबसे पहले जुटे लोगों की कोशिश से ही यह सुनिश्चित हुआ कि इस घटना में मृतकों की संख्या ‘‘सीमित’’ रही। इस गुफा के पास आठ जुलाई को भारी बारिश के बाद अचानक बाढ़ आ जाने से कम से कम 16 लोगों की मौत हो गई तथा 30 से ज्यादा लोग लापता हैं। एअर कोमोडोर पंकज मित्तल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ लोगों द्वारा पहले दिन किए गए प्रयासों का ही नतीजा रहा कि मृत्यु एवं हताहत होने की संख्या वाकई सीमित रही।’’ बचाव एवं राहत अभियान के स्तर के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘ हम (पहले ही) बड़ा अभियान देख चुके हैं, उसकी तुलना में अब अभियान छोटे पैमाने पर है।’’उन्होंने कहा, ‘‘ (बचाव एवं राहत अभियान का) बड़ा प्रयास पहले ही खत्म हो गया है और वे यात्रा बहाल करने के लिए पहले ही वहां से चीजें (मलबा आदि) हटा चुके हैं। मैं समझता हूं कि एक या दो दिन में हम, जो कुछ थोड़ा-बहुत बचा है, उसे वहां से हटा देंगे।’’ अधिकारी ने कहा,‘‘ मौसम बचाव एवं राहत अभियान में सबसे बड़ी चुनौती रहा।(गुफा को जाने वाली) घाटी संकरी होने एवं बादल छाए रहने के कारण हेलीकॉप्टर का प्रवेश करना मुश्किल हो रहा था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दृश्यता जैसे कुछ न्यूनतम मापदंड हैं जिसे हमें उड़ान भरने से पहले ध्यान रखने की जरूरत होती है…… दस जुलाई को भी हम मौसम के कारण आधे दिन से अधिक समय या अपराह्न दो बजे के बाद हेलीकॉप्टर नहीं उड़ा पाए। ’’ मित्तल ने कहा कि घटना के दिन मौसम बड़ा प्रतिकूल था और ‘‘हमें समन्वित तरीके से अगले दिन अभियान शुरू करना विवेकपूर्ण लगा।’उन्होंने कहा, ‘‘ आठ जुलाई को नागरिक प्रशासन, कैंप कमांडरों, सैन्य कमांडरों, बीएसएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस जैसी विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय एवं योजना पर विशेष ध्यान था।’’ उन्होंने कहा कि मुख्य हेलीकॉप्टर परिचालन नौ जुलाई को सुबह नौ बजे शुरू हुआ। मित्तल ने कहा, ‘‘हमने जिन सुविधाओं का उपयोग किया, उनमें यहां बेस यूनिट से एमआई 17 वी5 और लेह यूनिट से मंगाए गए चार चीतल और दो अन्य विमान थे। इन दो अन्य विमानों से देश के अन्य हिस्सों में कर्मी एवं जरूरी उपकरण लाए गए।’’ उन्होंने कहा कि खराब मौसम के बाद भी वायुसेना 112 अभियानों को अंजाम देने में सफल रही। उन्होंने कहा कि बचाव एवं राहत प्रयास विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल एवं सहयोग के बिना संभव नहीं हो पाता। मित्तल ने बचाव और राहत कार्यों में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), सेना के इंजीनियरों और नागरिक प्रशासन द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना की।’