बाढ़ के कारण अपने घरों और कुछ मामलों में तो प्रियजनों को खो चुकी असम की बेसहाय आबादी के लिए चटक नारंगी रंग की जीवनरक्षक जैकेट पहने बचाव कर्मी आशा की इकलौती किरण हैं, जो उन्हें भोजन के पैकेट बांट रहे हैं। राज्य के 32 जिलों में करीब 86 लाख लोग इस साल भारी बारिश और उसके बाद आयी बाढ़ से प्रभावित हैं, जिससे कई हिस्सों में जनजीवन ठप पड़ गया है और 150 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं।बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित शहरों में से एक सिलचर में मधुमेह से पीड़ित 68 वर्षीय मंजूरानी नाथ अपने बीमार पति के साथ बाहर निकलने का रास्ता तलाश रही होती है कि तभी एनडीआरएफ कर्मी उनकी मदद के लिए पहुंचते हैं। नाथ के घर में बाढ़ का पानी घुस गया है। उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ कर्मियों ने लंबे इंतजार के बाद उन्हें भोजन और अन्य सुविधाएं मुहैया करायी जो ‘स्वर्ग से मिले अन्न’ से कम नहीं है। असम में आयी अभूतपूर्व बाढ़ से कई इलाके, गांव जलमग्न हो गए हैं और फसलें तथा इमारतें क्षतिग्रस्त हो गयी हैं। लोअर असम के बारपेटा जिले में रुपाकुची गांव में सबेरा बेगम और पांच लोगों के उनके परिवार का ज्यादातर सामान बाढ़ में बह गया है लेकिन उन्होंने संकट के इस समय में एक-दूसरे का हाथ थाम रखा है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें कोई खरोंच या चोट आए बिना बाहर निकलने का मौका मिला जो किसी चमत्कार से कम नहीं है और इसके लिए बचावकर्मियों का शुक्रिया अदा।’’