राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार को चार साल पूरे हो गए हैं। इस अवसर पर रविवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चार साल की उपलब्धियों को गिनाया। इसके साथ ही गहलोत ने एलान किया कि आने वाले अप्रैल से बीपीएल परिवारों को साल में 12 सिलेंडर पांच सौ रुपए प्रति सिलेंडर की दर से दिए जाएंगे। गहलोत के इस बयान पर भाजपा ने पटलवार किया। भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि गहलोत राज्य में अपने खिसकते जनाधार व जन आक्रोश से घबराए हुए हैं। उन्होंने 500 रु में रसोई गैस सिलेंडर देने की घोषणा को झुनझुना बताया। इन सब के बीच सियासी जानकार कहते हैं कि गहलोत सरकार की कुछ ऐसी योजनाएं हैं जो आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए चुनौती बनेंगी। इनमें पुरानी पेशन बहाली, संविदा कर्मियों की स्थायी नौकरी जैसी योजनाएं शामिल हैं। आइए जानते हैं ऐसी पांच योजनाएं को जो भाजपा के लिए अगले चुनाव में चुनौती होंगी।
1. पुरानी पेंशन की फिर से बहाली: राजस्थान में साढ़े सात लाख सरकारी कर्मचारी हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एलान कर दिया है कि पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू किया है। भाजपा के सामने ये बड़ी चुनौती हो गई है। केंद्र सरकार नहीं चाहती है कि किसी भी हालत में पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू किया जाए। अब जहां, अशोक गहलोत सरकार के सामने पुरानी पेंशन के लिए बजट जुटाने की चुनौती है, वहीं भाजपा के सामने इस दांव से निपटने की। देशभर में पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग चल रही है।
2. संविदा कर्मचारियों को स्थायी नौकरी: इसी साल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य के एक लाख से ज्यादा संविदा कर्मचारियों को स्थायी कर दिया है। कांग्रेस सरकार का ये बड़ा दांव है। संविदा कर्मचारी और उनके परिवार इससे काफी खुश हैं। भाजपा के सामने गहलोत के इस दांव को काउंटर करने की बड़ी चुनौती है।
3. 500 रुपये में रसोई गैस: देशभर में रसोई गैस की किमतें 1100 रुपये के पार पहुंच चुकी हैं। अशोक गहलोत सरकार के चार साल पूरे होने पर एलान कर दिया कि बीपीएल कार्ड धारकों और उज्जवला गैस योजना के अंतर्गत जिन्हें गैस चूल्हा मिला है, उन्हें 500 रुपये में ही रसोई गैस दी जाएगी। इस दायरे में आने वाले लोग सालभर में 12 गैस सिलेंडर सब्सिडी पर ले सकते हैं। इसका फायदा राजस्थान के करीब पांच लाख से ज्यादा लोगों को मिलेगा।
4. छात्राओं को स्कूटी वितरण: राजस्थान सरकार हर साल छात्राओं को मुफ्त स्कूटी बांट रही है। छात्राओं और उनके परिवार के बीच पकड़ बनाने के लिए गहलोत सरकार का ये बड़ा दांव माना जा रहा है।
5. 50 यूनिट बिजली मुफ्त: दिल्ली समेत कई राज्यों में इस वक्त मुफ्त बिजली को लेकर खूब सियासत हो रही है। राजस्थान सरकार ने पहले से ही इसे लागू कर दिया है। राजस्थान में प्रतिमाह 100 यूनिट बिजली खपत करने वालों को 50 यूनिट बिजली मुफ्त दी जा रही है। 150 यूनिट तक बिजली खपत करने वालों के लिए तीन रुपये प्रति यूनिट और 150 से 300 यूनिट बिजली खपत करने वालों को सरकार की तरफ से दो रुपये प्रति यूनिट की छूट सरकार की तरफ से दी जा रही है।
भाजपा के लिए कितनी बड़ी चुनौती बनेंगी ये योजनाएं?
इसे समझने के लिए हमने राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, ‘राजस्थान समेत देश के तमाम लोग महंगाई समेत कई तरह की समस्याओं से परेशान हैं। खासतौर पर कोरोना के बाद से लोगों की आर्थिक स्थिति में बदलाव आया है। नौकरियों का संकट और अलग-अलग तरह की बीमारियों ने लोगों का मनोबल तोड़ दिया है। ऐसे समय सरकार की तरफ से मिलने वाली हर राहत लोगों को अच्छी लगती है।’
प्रो. सिंह के अनुसार, ‘दिल्ली एमसीडी और हिमाचल प्रदेश के नतीजे इस बात के बानगी हैं। चुनाव के नजदीक ही सही, कांग्रेस ने ये सारे काम करने शुरू कर दिए हैं। ऐसे में अगर कांग्रेस अंदरूनी कलह को सही कर ले तो इन योजनाओं का फायदा आने वाले विधानसभा चुनाव में मिल सकता है। भाजपा के पास इन योजनाओं को काउंटर करने का कोई खास मुद्दा नहीं है। भाजपा नहीं चाहती है कि पुरानी पेंशन योजना लागू हो। संसद में भाजपा के नेता और मंत्री इसको लेकर बयान दे चुके हैं। इसी तरह संविदा कर्मचारियों को स्थायी करने और सस्ती बिजली मुहैया कराने जैसे मुद्दे भी भाजपा को परेशान कर सकते हैं।’
भाजपा के पास गहलोत सरकार के खिलाफ क्या हैं मुद्दे?
प्रो. अजय कुमार सिंह कहते हैं, ‘राजस्थान में भाजपा के पास सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा कानून व्यवस्था है। इसके अलावा जातीय समीकरण को भी भाजपा मजबूत बनाने की कोशिश करेगी। भाजपा हर चुनाव में राष्ट्रवाद का मुद्दा भी जोरशोर से उठाती है। जिस तरह से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चीन के मसले पर भारतीय सेना को लेकर टिप्पणी की, उसे देखकर ये लगता है कि इस चुनाव में भाजपा इसे जरूर मुद्दा बनाएगी।’