गुजरात चुनाव को लेकर भाजपा ने अपनी पूरी कमर कस ली है। भाजपा के समक्ष गुजरात में सत्ता में वापसी करना एक बड़ी चुनौती है। पिछले 27 सालों से भाजपा लगातार गुजरात में सत्ता में बनी हुई है। इस बार भी भाजपा सत्ता में वापसी के लिए मजबूत चुनावी रणनीति के साथ मैदान में उतरने वाली है। यही कारण है कि केंद्रीय मंत्रियों को अब गुजरात में अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी दी जा रही है। भाजपा की ओर से यह फैसला ऐसे समय में हुआ है जब हाल में ही नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों ही गुजरात दौरे से वापस लौटे हैं। हालांकि, भाजपा लगातार राज्य के विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्रियों की फौज को उतारती रही है। कहीं भी चुनाव हो, भाजपा पूरी ताकत के साथ चुनाव मैदान में रहती है।मिल रही जानकारी के मुताबिक अलग-अलग दिन गुजरात के अलग-अलग जिलों में केंद्रीय मंत्री जाएंगे और जिलों के हिसाब से रणनीति भी तय करेंगे। मीनाक्षी लेखी को जहां तापी भेजा गया है तो वही बीएल वर्मा खेड़ जिले में रहने वाले हैं। 7 अक्टूबर को 6 केंद्रीय मंत्री गुजरात में होंगे। पंचमहाल जिले में वीरेन कुमार होंगे। वही स्मृति ईरानी को आणंद जिले की जिम्मेदारी दी गई है। साध्वी निरंजन ज्योति अहमदाबाद में होंगी। अजय भट्ट अरावली में जबकि भूपेंद्र यादव अमरेली में रहेंगे। किरण रिजिजू के भावनगर जिले में कार्यक्रम है। ऐसे ही 8 नवंबर को 3 केंद्रीय मंत्री, 9 नवंबर को 2 और 10 नवंबर को 3 केंद्रीय मंत्री गुजरात में अलग-अलग जगह पर मौजूद रहेंगे। जिन केंद्रीय मंत्रियों को गुजरात में भेजा जा रहा है उसमें प्रतिमा भौमिक, अर्जुन मुंडा और गिरिराज सिंह का भी नाम शामिल है। हालांकि, इसको लेकर अब राजनीति भी शुरू हो गई है। गुजरात में अपना भविष्य देख रही आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भाजपा के इस कदम पर जबरदस्त तरीके से तंज कसा है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि खबर है कि गुजरात के हर ज़िले में बीजेपी एक एक केंद्रीय मंत्री या किसी मुख्यमंत्री की ड्यूटी लगा रही है। बाप रे! इतना डर? ये डर आम आदमी पार्टी का नहीं है। ये डर गुजरात के लोगों का है जो बीजेपी से बहुत नाराज़ थे और अब तेज़ी से “आप” का दामन थाम रहे हैं।