चीन की कम्युनिस्ट पार्टी यानी CCP की 20वीं कांग्रेस रविवार यानी 17 अक्टूबर को बीजिंग में शुरू हुई। यह मीटिंग 22 अक्टूबर तक चलेगी। द हिंदू और HT मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मीटिंग में हुई चर्चा से ज्यादा जिस बात ने सबका ध्यान खींचा, वह था गलवान झड़प का वीडियो दिखाना। इस दौरान गलवान में लड़ने वाले कमांडर को भी बुलाया गया था। इसे जिनपिंग सरकार की उपलब्धि के तौर पर दिखाया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स में इसे भारत को लेकर जिनपिंग का एजेंडा बताया गया। भारत को खतरा इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि CCP की मीटिंग के बाद शी जिनपिंग का कार्यकाल बढ़ाने का ऐलान तय माना जा रहा है। वहां किसी भी राष्ट्रपति को अधिकतम दो कार्यकाल देने का नियम जिनपिंग पहले ही खत्म करा चुके हैं। इससे उनके जिंदगीभर राष्ट्रपति रहने का रास्ता साफ हो गया है।
अब सिलसिलेवार तरीके से जानते हैं कि कैसे जिनपिंग को चीन में माओ और जियाओपिंग के समकक्ष खड़ा किया गया है। इन चार पॉइंट से समझिए कि कैसे चीन में उनकी लार्जर दैन लाइफ इमेज बनाई जा रही है…
1. जिनपिंग के खिलाफ बयान देने पर सजा
पिछले साल यानी 2021 में चाइना कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) का कॉनक्लेव हुआ था। इसमें ‘ऐतिहासिक संकल्प-पत्र’ जारी किया गया था। तमाम प्रस्तावों के अलावा इस मीटिंग की खास बात यह रही कि जिनपिंग के खिलाफ बयानबाजी को अपराध की कैटेगरी में डाल दिया गया। यानी जिनपिंग के खिलाफ बोलने पर सजा का प्रावधान है।
2. दो टर्म ही राष्ट्रपति रहने की कंडीशन खत्म
जिनपिंग 2012 में सत्ता में आए थे। जिनपिंग से पहले राष्ट्रपति रहे सभी नेता पांच साल के दो कार्यकाल या 68 साल की उम्र होने पर रिटायर होना होता था। 2018 में चीन ने राष्ट्रपति पद के लिए दो टर्म की बाध्यता खत्म कर दी थी। ऐसे में जिनपिंग पूरी उम्र के लिए राष्ट्रपति बने रह सकते हैं। जिनपिंग का दूसरा कार्यकाल 2023 में खत्म हो रहा है, लेकिन ये तय माना जा रहा है कि वे तीसरा कार्यकाल भी लेंगे।
3. चीन के सबसे ताकतवर नेता बने जिनपिंग
शी जिनपिंग 2012 में पहली बार चीन के राष्ट्रपति चुने गए थे। पहला टर्म खत्म होने के बाद CCP की बैठक में उन्हें दोबारा राष्ट्रपति चुन लिया गया। राष्ट्रपति के लिए दो कार्यकाल की सीमा खत्म होने के बाद जिनपिंग अब माओत्से तुंग के बाद चीन के सबसे शक्तिशाली नेता बन गए हैं।
4. जिनपिंग के विचार संविधान में शामिल किए
चाइना कम्युनिस्ट पार्टी यानी CCP कांग्रेस ने जिनपिंग के लिए अधिकतम दो बार राष्ट्रपति बनने की शर्त तो हटाई ही, उन्हें दूसरी बार पार्टी प्रमुख भी चुना गया। वहीं, CCP ने उनके विचारों को संविधान में शामिल करने का फैसला किया था।