सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर जबरन धर्म परिवर्तन को गंभीर मद्य करार देते हुए कहा कि इसे संविधान के खिलाफ बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चैरिटी कार्यों का स्वागत है, लेकिन उन्हें धर्म परिवर्तन के मकसद से नहीं किया जाना चाहिए। लाइव लॉ के अनुसार कोर्ट ने रुपये, खाने या दवाई का लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाने वालों को गलत बताते हुए कहा, जो गरीब और जरूरतमंद की मदद करना चाहता है, जरूर करे, लेकिन इसका मकसद धर्म परिवर्तन करवाना नहीं होना चाहिए। बेंच ने कहा, ‘इसे विरोध के तौर पर मत लीजिए। यह गंभीर मुद्दा है। यह हमारे संविधान के खिलाफ है। जब कोई व्यक्ति ‘भारत में रहता है तो उस हर व्यक्ति को भारत की संस्कृति के अनुसार चलना होगा। इस मामले में अगली सुनवाई 12 दिसंबर को करेगा।