वो कहता तो खुद को लोकतांत्रिक देश है, लेकिन हमने उसके कई रूप देखे हैं। अपने खिलाफ बोलने वालों को कैसी कीमत चुकानी पड़ती है ये हम अलीबाबा के फाउंडर जैक मा के रूप में देख चुके हैं। उसकी विस्तारवादी नीति से तो एशिया के तमाम मुल्क त्रस्त हैं। अपने कर्ज जाल में देशों को फंसा उसकी जमीन को कब्जाना उसका पसंदीदा शौक है। हम बात कर रहे हैं भारत के पड़ोसी मुल्क चीन ती। जिसकी नीतियों और सरकार से अब वहां के नागरिक भी तंग आ गए हैं। इसलिए वो अपने रहने के लिए नया ठिकाना तलाशने में लगे हैं। माओ के नक्शेकदम पर चलते हुए चीन के तानाशाह शी जिनपिंग वैसे तो वर्तमान दौर को सांस्कृतिक क्रांति का दौर बता रहे हैं। लेकिन इससे इतर वहां के लोगों दूसरे देशों में शरण मांगते नजर आ रहे हैं जहां उन्हें किसी भी प्रकार की मानवता नजर आए।