ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी विवाद मामले में कोर्ट ने 12 सितंबर तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया है। दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी हो गई है। ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मामले में अब एक नई बात सामने आई है। जिला अदालत में मुस्लिम पक्ष ने दलील दी कि ज्ञानवापी का असली मालिक आलमगीर है। यह तर्क दिया जाता है कि जिस समय मस्जिद बन रही थी उस समय मुगल शासक औरंगजेब शासन कर रहा था। इस संपत्ति पर औरंगजेब का नाम आलमगीर के रूप में भी दर्ज है। अदालत में दो घंटे की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलीलों में बार-बार मुगल शासक औरंगजेब का जिक्र किया और यह भी कहा कि जिस संपत्ति पर मस्जिद बनी है वह आलमगीर ने दी थी।अब कोर्ट ने श्रीनगर गौरी ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में फैसला 12 सितंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया है। दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी हो चुकी है। अब फैसला 12 सितंबर को सुनाया जाएगा। मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता शमीम अहमद ने भी राज्य सरकार का दिनांक 25 फरवरी 1944 का गजट कोर्ट में पेश किया है। उन्होंने दावा किया कि तत्कालीन वक्फ आयुक्त ने वक्फ संपत्तियों की सूची तैयार की थी और ज्ञानवापी का नाम सबसे ऊपर था। इस गजट को पेश करते हुए वकील ने कहा, इस रिपोर्ट के आधार पर ज्ञानवापी को वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत किया गया है और सरकार ने इसे राजपत्रित किया है। उन्होंने कहा, वक्फ संपत्ति के लिए जरूरी है कि देने वाला कोई हो। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि यह संपत्ति आलमगीर बादशाह द्वारा वक्फ को दी गई थी।