तुर्किये के राष्ट्रपति ने जैसे ही कश्मीर का राग अलापा

भारत के विदेश मंत्री देश के हितों को पुरजोर ढंग से अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष रखने के लिए तो जाने जाते हैं साथ ही शांत स्वभाव के माने जाने वाले जयशंकर तब तगड़ा पलटवार भी करते हैं जब कोई भारत से संबंधित मुद्दों पर नकारात्मकता फैलाता है। इस समय संयुक्त राष्ट्र महासभा का वार्षिक अधिवेशन चल रहा है। दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्ष या विदेश मंत्री संयुक्त राष्ट्र में अपना अपना पक्ष रखने पहुँच रहे हैं। इसी कड़ी में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी वहां पहुँचे हुए हैं। जब उन्होंने देखा कि तुर्किये के राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में कश्मीर का मुद्दा उठाया तो उसके तत्काल बाद जयशंकर ने तुर्किये के विदेश मंत्री मेवलेट कावुसोग्लू से मुलाकात कर साइप्रस के मुद्दे पर चर्चा की। जयशंकर के इस कदम को तगड़ा पलटवार माना जा रहा है।

जहां तक तुर्किये के राष्ट्रपति की ओर से कश्मीर मुद्दा उठाये जाने की बात है तो आपको बता दें कि राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उठाया। पाकिस्तान के करीबी एर्दोआन ने महासभा में परिचर्चा के दौरान कहा, ‘‘भारत और पाकिस्तान 75 साल पहले अपनी संप्रभुता और स्वतंत्रता स्थापित करने के बाद भी अब तक एक-दूसरे के बीच शांति और एकजुटता कायम नहीं कर पाए हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।” उन्होंने कहा कि हम कश्मीर में स्थायी शांति और समृद्धि कायम होने की आशा और कामना करते हैं।’’ खास बात यह है कि एर्दोआन ने अभी बीते शुक्रवार को ही उज्बेकिस्तान के शहर समरकंद में हुए शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी, जिसके बाद उन्होंने यह टिप्पणी की है। समरकंद में हुई मुलाकात के दौरान एर्दोआन ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करते हुए विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को प्रगाढ़ बनाने के तरीकों पर चर्चा की थी। हम आपको बता दें कि हाल के वर्षों में, एर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय सत्रों में संबोधन के दौरान कश्मीर मुद्दे का उल्लेख किया है, जिससे भारत और तुर्किये के बीच संबंधों में तनाव पैदा हुआ है। इस मुद्दे पर भारत यही कहता रहा है कि तुर्किये को अन्य देशों की संप्रभुता का सम्मान करना सीखना चाहिए और इस बात को अपनी नीतियों में अधिक गहराई से प्रतिबिंबित करना चाहिए।

बहरहाल, बात भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की ओर से किये गये पलटवार की करें तो आपको बता दें कि तुर्किये के विदेश मंत्री मेवलेट कावुसोग्लू से मुलाकात के दौरान साइप्रस के मुद्दे को पुरजोर ढंग से उठाया गया। संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र से इतर हुई इस मुलाकात के बाद जयशंकर ने ट्वीट किया, ”तुर्किये के विदेश मंत्री मेवलेट कावुसोग्लू से मुलाकात की। इस दौरान यूक्रेन युद्ध, खाद्य सुरक्षा, जी-20, वैश्विक व्यवस्था, एनएएम और साइप्रस के मुद्दों पर बातचीत हुई।’’ हम आपको बता दें कि साइप्रस समस्या 1974 में तब शुरु हुई जब तुर्किये ने सैन्य तख्तापलट के जवाब में देश के उत्तरी हिस्से पर आक्रमण किया। उस समय यूनान की सरकार ने तख्ता पलट को समर्थन दिया था। भारत साइप्रस मामले में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुरूप शांतिपूर्ण समाधान की वकालत करता रहा है।

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