दिल्ली नगर निगम के वार्डों की सीमाओं को बदलने का पहला मसौदा केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा अधिसूचित किया गया है और जनता से सुझाव लेने के लिए राज्य चुनाव आयोग की वेबसाइट पर इसे डाला गया है। इस बार तीन अलग-अलग एमसीडी के चुनाव नहीं होंगे क्योंकि तीनों नगर निगमों को एक कर दिया गया है। इस पूरे बदलाव पर आम आदमी पार्टी ने सवाल उठाए हैं। आप और कांग्रेस दोनों का कहना है कि ये सब बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है। एमसीडी चुनाव में इस बार क्या कुछ बदलने वाला है। यहां जानिए दिल्ली के लोगों के लिए इस कवायद का क्या मतलब है और कब हो सकते हैं एमसीडी चुनाव।
परिसीमन क्या है?
भारत में हर राज्य की अपनी अलग खूबसूरती है। हर प्रांत की अपनी अलग चमक है। रंग-बिरंगे इस देश की आबादी में भी लगातार इजाफा हो रहा है। बढ़ती जनसंख्या के कारण राज्य से लेकर गांव तक का गणित हर लिहाज में बदलता रहता है। लोग पलायन करते हैं तो संख्या की अनिश्चितता लगातार बनी रहती है। आजादी के बाद से भारत में चुनाव हो रहे हैं और इन चुनावों में सीटों के बंटवारे में सीमाओं का अपना महत्व है। क्योंकि यह सीमाएं आबादी के हिसाब से तय होनी जरूरी है। तभी सही मायने में एक निश्चित आबादी के लिए एक निश्चित प्रतिनिधि का चुनाव कर सकेंगे। इसी संविधान के अनुच्छेद 82 में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं के निर्धारण के लिए हर 10 साल में एक परिसीमन आयोग का गठन किया जाता है। जिसे भारतीय सीमा आयोग भी कहा जाता है। ये आयोग सीटों की संख्या में तब्दीली नहीं कर सकता। बल्की ये जनगणना के बाद सही आंकड़ों से सीटों की सीमाएं और अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए भी सीटों की संख्या आरक्षित करता है। इन सीमाओं का पुनर्निर्धारण हाल की जनगणना पर आधारित है। इस मामले में दिल्ली के नगर निगमों के वार्ड फिर से तैयार किए गए।
परिसीमन की आवश्यकता क्यों पड़ी?
मूल रूप से अप्रैल में होने वाले एमसीडी चुनावों को चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से कुछ घंटे पहले टाल दिया गया था। चुनाव रद्द कर दिया गया क्योंकि केंद्र एमसीडी को तीन से एक में एकीकृत करना चाहता था और वार्डों की संख्या को कम करने के लिए परिसीमन भी करना चाहता था। एमसीडी को एकीकृत करते हुए और नगर निगम (संशोधन) विधेयक 2022 को पारित करते हुए केंद्र ने कहा था कि यह परिसीमन के लिए जाएगा क्योंकि वर्तमान 272 से वार्डों की संख्या 250 से अधिक नहीं होनी चाहिए। बाद में उसने कहा कि वह एमसीडी वार्डों की संख्या को 250 तक सीमित कर देगी।