कांग्रेस पार्टी के सितारे पिछले कुछ वर्षों से लगातार गर्दिश में चल रहे हैं, पहले तो वह केंद्र की सत्ता से बाहर हुई फिर एक-एक करके उससे राज्यों की सत्ता भी छिनती चली गई। वहीं रही-सही कसर उन राजनेताओं ने पूरी कर दी जो कांग्रेस पार्टी में कभी सत्ता का प्रमुख केन्द्र व नीति निर्माता होते थे, वह राजनेता भी पिछले कुछ वर्षों से एक-एक करके ना जाने क्यों कांग्रेस पार्टी को छोड़ते जा रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के हालात को देखकर अब तो देश के आम जनमानस को भी यह लगने लगा है कि कांग्रेस मुक्त भारत का जो सपना कभी भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने देखा था, उसको कांग्रेस पार्टी के अंदर के कुछ नेता व पार्टी छोड़कर बाहर जाने वाले नेता ही पूरा करने पर तुले हुए हैं।
आज कांग्रेस पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है, पार्टी के पास लंबे समय से अपना पूर्ण कालिक अध्यक्ष तक नहीं है, कांग्रेस के दिग्गज नेता पार्टी छोड़कर भाग रहे हैं, वहीं कांग्रेस पार्टी से दशकों से विचारधारा व दिल से जुड़ा हुआ आम कार्यकर्ता दुविधा में है कि आखिरकार पार्टी में यह किस तरह का माहौल चल रहा है और भविष्य में ऐसा माहौल कब तक चलता रहेगा। लेकिन अफसोस की बात यह है कि कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता अपने ठाठबाट में ही मस्त हैं, उन्हें ना तो वास्तव में कांग्रेस पार्टी की कोई चिंता है और ना ही पार्टी के आम कार्यकर्ताओं की भावनाओं की कोई चिंता है, कांग्रेस की बेहद चिंताजनक स्थिति होने के बाद भी पार्टी के दिग्गज राजनेता आरोप लगाने में तो मस्त हैं, लेकिन ना जाने क्यों कांग्रेस पार्टी के हित में कभी भी यह चंद ताकतवर राजनेता अपने गिरेबान में झांक कर आत्ममंथन करने के लिए तैयार नहीं हैं।
कांग्रेस पार्टी के दिग्गज राजनेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाब नबी आजाद ने भी 26 अगस्त शुक्रवार के दिन पांच पन्नों का लंबा पत्र सोनिया गांधी को लिखकर के कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए, कांग्रेस में अपनी बेहद लंबी चली पारी को विराम दे दिया। हालांकि अब उन पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने दशकों तक कांग्रेस राज का आनंद लेकर आज जरूरत के समय कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़ दिया, जो सैद्धांतिक रूप से ठीक नहीं है। हालांकि यह भी कटु सत्य है कि कांग्रेस पार्टी में गुलाम नबी आज़ाद बहुत लंबे समय तक एक नीति निर्माता व रणनीतिकार की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका में कार्य करते रहे थे, राहुल गांधी के दौर में वह इस सिस्टम से बाहर हुए तो शायद उनको भी छटपटाहट हुई और बहुत बुरा लगा, जिसके चलते ही उन्होंने कांग्रेस पार्टी के अन्य शीर्ष राजनेताओं के साथ सोनिया गांधी को पार्टी में अंदरूनी लोकतंत्र स्थापित करने के लिए व पार्टी की कमजोरियों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए एक लंबी चौड़ी चिट्ठी लिख डाली थी। चिट्ठी लिखने वाले इस समूह को बाद में जी-23 नाम दिया गया था। इस ग्रुप पर कांग्रेस पार्टी के राहुल गांधी के नजदीकी विभिन्न बड़े राजनेताओं से लेकर के आम कार्यकर्ताओं तक ने भी बहुत गंभीर आरोप लगाये थे, जिसके चलते अन्य राजनेताओं के साथ-साथ गुलाम नबी आज़ाद भी बेहद आहत हुए थे।