पितृपक्ष मास को समाप्त होने में अब कुछ ही दिन शेष है परन्तु आज की तिथि पितृपक्ष की एक महत्वपूर्ण तारीख है क्योंकि आज पितृपक्ष एकादशी का व्रत है। जिसे इंदिरा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पितरों के नाम का उपवास और दान-पुण्य करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है इसलिए इस एकादशी को मोक्षदायी भी कहा जाता है।
आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन उपवास, तर्पण और श्राद्ध करने से ना सिर्फ़ भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं बल्कि पितरों को भी जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती हैं। शास्त्रों में पितृपक्ष एकादशी का महत्व बताते हुए कुछ उपाय भी बताए गए हैं, इन उपायों को करने से व्यक्ति के जीवन का हर कष्ट दूर होता है और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती हैं। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन व्रत, तर्पण और श्राद्ध करने से ना केवल भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं बल्कि पितरों को भी जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। शास्त्रों में इस दिन का महत्व बताते हुए कुछ उपाय भी बताए गए हैं, इन उपायों के करने से जीवन का हर संकट दूर होता है और सुख-समृद्धि आती है। आइए जानते हैं पितृपक्ष एकादशी के दिन किए जाने वाले अचूक उपायों के बारे में:-
विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से आएगी समृधि
पितृपक्ष एकादशी के दिन ब्राह्मण को भोजन कराने से पहले पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीया जलाएं और अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें। इसके अलावा पितरों को याद करते हुए विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करें क्योंकि ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
दान-उपवास करने से होगी मोक्ष की प्राप्ति
पितृपक्ष एकादशी को व्रत-उपवास करने और पितरों के नाम का दान-पुण्य करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद यमदूतों का डर नहीं रहता और जीवात्मा का सफर सरल हो जाता है इसके साथ ही पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है इसलिए इस एकादशी को पुण्यदायी और मोक्षदायी माना गया है।
तुलसी वंदना से मिलेगी पापों से मुक्ति
इस दिन सूर्योदय और सूर्यास्त के समय तुलसी के सामने पांच देसी घी के दीपक जलाएं और तुलसी के पेड़ की 11 बार परिक्रमा करें और साथ ही ‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करते रहें। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से पिछले जन्म में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है और इसका पुण्य फल पितरों को मिलता है, जिससे वह घर में सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
जरुरतमंदों को भोजन कराने से होते है कष्ट दूर
पितृपक्ष एकादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने के साथ-साथ जरूरतमंद लोगों को भी पितरों के नाम का भोजन अवश्य कराना चाहिए। इस भोजन से पितृ प्रसन्न होकर सभी कष्ट दूर करते हैं और साथ ही पितृदोष भी दूर हो जाता है। इस दिन पूरी श्रद्धा से व्रत रखकर ब्राह्मणों को भोजन कराने से और तर्पण विधि करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
गौ सेवा से मिलता है पितरों को पुण्य
पितृपक्ष एकादशी के दिन श्रीविष्णु का ध्यान करते हुए गाय को प्रेमपूर्वक हरा चारा या पालक खिलाएं और चरणों को स्पर्श करते हुयह प्रार्थना करें कि पुण्य फल पितरों को प्रदान करें। ऐसा करने से पितरों को अधोगति से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति भी मजबूत होती जाती है।