फडणवीस के लिए आसान नहीं है चुनाव समिति का सदस्य होना

भाजपा ने अपनी सबसे महत्वपूर्ण कमेटियों में से एक चुनाव समिति में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बतौर सदस्य शामिल किया है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा यही है कि है कि संभव है कि देवेंद्र फडणवीस को देर-सबेर केंद्र में लाने और महाराष्ट्र में एक नए और बड़े पावर सेंटर के तौर पर तैयार किया जा रहा हो। हालांकि देवेंद्र फडणवीस को जिस चुनाव समिति का सदस्य बनाया गया है, वहां उनके लिए सब कुछ बहुत आसान नहीं है। क्योंकि यह समिति टिकटों के फैसले लेने वाली भाजपा की सबसे बड़ी कमेटी है। महाराष्ट्र में पिछले विधानसभा के चुनावों में टिकटों के हुए बंटवारे में बड़े-बड़े नेताओं के टिकट कटने से देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ नाराजगी भी हुई थी।

भाजपा की दो सबसे महत्वपूर्ण कमेटियों में सदस्यों की घोषणा के साथ ही अलग-अलग तरह के राजनीतिक कयासों की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि देवेंद्र फडणवीस को महत्वपूर्ण कमेटी में शामिल करने से भाजपा ने एक बात तो स्पष्ट कर दी है कि अब महाराष्ट्र में एक और नया बड़ा पावर सेंटर तैयार किया जा रहा है। यह तब और ज्यादा पुख्ता हो जाता है जब केंद्र में महाराष्ट्र से ही मंत्री और भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी को पार्टी अपने सबसे महत्वपूर्ण कमेटी से बाहर कर देती है। महाराष्ट्र की राजनीति में शुरू से चर्चा रही है कि देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही महाराष्ट्र में भाजपा का दूसरा पावर सेंटर बनने लगा था। लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की कई राजनीतिक गलतियों के चलते न सिर्फ उनके विरोधियों को मौका मिला, बल्कि उन्हें इसी वजह से महाराष्ट्र की राजनीति में किनारे भी किया जाने लगा। हालांकि अब जब फडणवीस को चुनाव समिति में शामिल किया गया है, तब भी राजनीतिक विश्लेषकों की नजर में देवेंद्र फडणवीस के लिए यहां पर भी चुनौतियां बहुत आने वाली हैं।

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