बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार राज्य में मामलों की जांच के लिए सीबीआई को दी गई आम सहमति वापस ले सकती है। एक हफ्ते से भी कम समय में सीबीआई ने जमीन घोटाले के सिलसिले में राजद एमएलसी सुनील सिंह, पूर्व एमएलसी सुबोध रॉय, राज्यसभा सांसद अहमद अशफाक करीम और फैयाज अहमद के ठिकानों पर छापेमारी की। इसके बाद सभी महागठबंधन दलों ने आरोप लगाया कि केंद्र द्वारा राजनीतिक उद्देश्यों के लिए केंद्रीय जांच एजेंसी का इस्तेमाल किया जा रहा है।बिहार द्वारा सीबीआई से सामान्य सहमति वापस लेने की संभावना पर मीडिया से बात करते हुए भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने दावा किया कि इसके सबसे बड़े घटक राजद से जुड़े भ्रष्टाचार के घोटालों के अलावा महागठबंधन आंतरिक राजनीतिक विरोधाभासों के कारण असुरक्षित महसूस कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन सिर्फ राजद को बचाने के लिए देश के संघीय ढांचे और लोकतांत्रिक ताने-बाने को चुनौती देना चाहता है। वर्तमान में राज्य सरकार के पास 242 सदस्यीय बिहार विधानसभा में 165 विधायकों का समर्थन है।