शिवसेना ने सोमवार को कहा कि वह कभी नहीं बुझने वाली मशाल है और पार्टी का नाम एवं चुनाव चिह्न के उपयोग पर रोक लगाने के निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद भी वह वापसी करेगी। उद्धव ठाकरे धड़ा ने निर्वाचन आयोग (ईसी) के फैसले को अन्याय करार दिया है। निर्वाचन आयोग ने अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट पर तीन नवंबर को होने वाले उपचुनाव में शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे नीत दोनों गुटों के पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न का उपयोग करने पर शनिवार को पाबंदी लगा दी थी। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में कहा, ‘‘यह (निर्वाचन आयोग का फैसला) पाप दिल्ली ने किया। बेईमान लोगों ने यह बेईमानी की। लेकिन हम इतना ही कहेंगे कि कितना भी संकट आ जाए,हम खड़े ही रहेंगे।’’ संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि निर्वाचन आयोग ने शिवसेना के मामले में क्रूर फैसला दिया है और बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित की गई शिवसेना का नामोनिशान खत्म करने की कोशिश की गई है। इसमें कहा गया है, ‘‘निर्वाचन आयोग ने ऐसा निर्णय देकर महाराष्ट्र में घना अंधेरा ला दिया है। बालासाहेब ठाकरे ने 56 साल पहले मराठी अस्मिता व मराठी लोगों के न्याय व अधिकार के लिए एक अलख जगाई। उस शिवसेना का अस्तित्व खत्म करने के लिए एकनाथ शिंदे और उनके 40 सहयोगी दिल्ली के गुलाम बन गए हैं।’’ संपादकीय में आगे कहा गया है कि शिंदे और उनके धड़े के विधायकों के नाम महाराष्ट्र के इतिहास में ‘काली स्याही’ से लिखे जाएंगे। पार्टी ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री पद और कुछ मंत्री पद की सौदेबाजी में महाराष्ट्र का स्वाभिमान बेचने वाले इन लोगों के आगे औरंगजेब की ‘दुष्टता’ भी फीकी पड़ जाएगी।’’ संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि भारतीय जनता पार्टी इन सबकी सूत्रधार है और उसके ही एक नेता ने कहा था कि ढाई साल से शिवसेना को तोड़ने की कोशिश की जा रही थी। पार्टी ने कहा, ‘‘शिवसेना को जमीन दिखाएंगे, ऐसा (केंद्रीय गृह मंत्री) अमित शाह कहते थे। शिवसेना रही ही नहीं, ऐसा (देवेंद्र) फडणवीस ने घोषित किया। वे शिवसेना से मैदान में लड़ नहीं सकते थे, इसलिए उन्होंने न्यायालय और निर्वाचन आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर शिवसेना पर गोली दागी।