पिछले 10 वर्षों में भारत के रक्षा निर्यात में 30 गुना से अधिक की जबरदस्त वृद्धि देखी गई है। इस दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध और इज़राइल-हमास संघर्ष जैसी वैश्विक घटनाओं ने इस क्षेत्र को और मजबूती प्रदान की है, जिससे रक्षा उद्योग को नई ऊंचाईयां मिली हैं। भारत अब 90 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है। इस वृद्धि के पीछे सरकार की सरल लाइसेंसिंग सिस्टम और अनुमतियों में सुधार की पहल है। जहां अमेरिका भारत का सबसे बड़ा रक्षा निर्यात गंतव्य बन चुका है, वहीं सरकार अफ्रीका और अन्य क्षेत्रों में भी नए बाजार तलाश रही है।
भारत के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में देश के रक्षा निर्यात ने 2.63 बिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 32.5 प्रतिशत की वृद्धि है। पिछले 10 वर्षों में भारत के रक्षा निर्यात में 31 गुना वृद्धि हुई है, जो उल्लेखनीय है। रक्षा क्षेत्र की इस बढ़त में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र, दोनों का बड़ा योगदान है। निजी कंपनियों ने 60 प्रतिशत और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (DPSUs) ने 40 प्रतिशत योगदान दिया है। निर्यात प्राधिकरणों की संख्या में भी पिछले वर्ष के मुकाबले बढ़ोतरी देखी गई है।यह सफलता सरकार की नीतिगत सुधारों और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के प्रयासों का नतीजा है। 2014 में, भारत सरकार ने पहली बार रक्षा निर्यात रणनीति को लागू किया, जिससे रक्षा निर्यात में तेजी आई।