उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक हुई। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 8 देशों के राष्ट्रीय अध्यक्ष शामिल हुए। इस बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान की प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ में मुख्य रूप से मौजूद रहे। भारत के लिए इस बार का यह बैठक बेहद अहम था। भारत को इस बार एससीओ की मेजबानी मिली है। सबसे खास बात यह है कि इस पर भारत को चीन का भी समर्थन हासिल हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में शी जिनपिंग ने कहा कि चीन अगले वर्ष भारत द्वारा एसएसीओ की अध्यक्षता ग्रहण करने का समर्थन करता है। चीन का भारत के साथ खड़ा होना अपने आप में बड़ी बात है। दरअसल, 2020 के बाद से लगातार चीन के साथ भारत के रिश्ते तनाव पर है। पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के बीच हुई झड़प के बाद से भारत-चीन के बीच तनाव बढ़ गया था। दोनों देशों के बीच कई दौर की बैठक हो चुकी है। उसके बाद से दोनों देशों के बड़े नेता भौतिक रूप से एक दूसरे से नहीं मिले थे। ऐसे में तनाव के बीच इस बार भारत के प्रधानमंत्री और चीन के राष्ट्रपति की एससीओ की बैठक में मुलाकात हुई है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने की भारत को एससीओ शिखर वार्ता की मेजबानी करने के लिए बधाई दी है। यह ऐसा पहला मौका होगा जब भारत एसएससी ओ बैठक की मेजबानी करेगा। भारत 2017 में इस संगठन का पूर्ण सदस्य बना था। भारत के लिए बड़ी बात यह भी है कि अगले वर्ष विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्था वाले देशों के संगठन जी-20 की शिखर बैठक भी देश में ही आयोजित होने वाला है। वैश्विक स्तर के दो बड़े शिखर वार्ताओं का भारत में आयोजन हमारे देश की बढ़ती साख और प्रभाव को दर्शाता है। आज की बैठक में मोदी ने कहा कि हम एससीओ देशों के बीच पारंपरिक दवाओं को प्रोत्साहित करना चाहते हैं। एससीओ को विविध और लचीला आपूर्ति श्रृंखला लाने पर ध्यान देने की जरूरत है।