मेरठ में मुनीर के कई ठिकाने, 2015 में बना PFI का हिस्सा

पीएफआई के सदस्य मुनीर के मेरठ में कई ठिकाने हैं। खरखौदा थाना क्षेत्र के पूर्व में पकड़े गए पीएफआई के चारों सदस्यों से एटीएस की पूछताछ के बाद मुनीर का नाम सामने आया था। गजवा-ए-हिंद के जरिए देश को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश रच रहे थे। खरखौदा थाने से मुकदमे की विवेचना भी एटीएस को सौंप दी गई थी। ताकि इनके मंसूबों के बारे में जानकारी जुटाई जा सके। पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ कि मुनीर ने मेरठ में ही पढ़ाई की है।खरखौदा पुलिस के मुताबिक पीएफआई के सदस्यों को गजवा-ए-हिंद साहित्य बांटते हुए पकड़ा था। गजवा-ए-हिंद साहित्य के अलावा उनके कब्जे से एक पैन ड्राइव भी बरामद की गई थी। जांच में सामने आया कि मोहम्मद शादाब अजीम कासमी सीएए की हिंसा का भी मास्टरमाइंड है।

मोहम्मद शादाब अजीम कासमी ने ही शामली कोतवाली क्षेत्र में हिंसा कराई थी। मौलाना साजिद शामली कोतवाली के अलावा कैराना में भी सीएए की हिंसा में शामिल हुआ था। इसी तरह से मुफ्ती शहजाद ने मेरठ में सीएए को लेकर हुई हिंसा का मास्टरमाइंड था। उसके खिलाफ लिसाड़ीगेट, नौचंदी, ब्रह्मपुरी थानों में मुकदमे भी दर्ज हुए थे।

पहले भी 2017 में लिसाड़ीगेट में हुए सांप्रदायिक टकराव में भी शहजाद को नामजद किया गया था। इस्लाम कासमी पर भी कोतवाली मुजफ्फरनगर में सीएए को लेकर हिंसा को लेकर आरोपी बनाया गया था।

पीएफआई से वर्ष 2015 में जुड़ा था मुनीर
एटीएस के अनुसार मुनीर इंटर करने के बाद तीन साल घर रहा। वर्ष 2015 में उसने वकालत की पढ़ाई के लिए मेरठ में दाखिला लिया। मुनीर ने पूछताछ में बताया कि मौलाना शादाब उनके गांव आते-जाते थे। तभी से वह पीएफआई से जुड़ा और उनके कामों में भाग लेने लगा।
पीएफआई से मुनीर को मिला था पैसा

उसने पूछताछ में बताया कि वह पीएफआई के शाहीन बाग स्थित मुख्यालय में कई बार गया और उसके काम एवं लगन को देखते हुए उसे वर्ष 2017 में एडहॉक कमेटी का सदस्य बनाया गया।

उसने बताया कि उसे पीएफआई से पैसा भी मिलता था। वह सीएए, एनआरसी के विरोध प्रदर्शन में भी शामिल हुआ था और जेल गया था। एटीएस ने मुनीर के मोबाइल, आधार कार्ड, विजिटिंग कार्ड, डेबिट कार्ड, सिम कार्ड भी कब्जे में ले लिए हैं।

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