म्यांमार की सेना ने थाइलैंड की सीमा के पास संघर्षग्रस्त काया क्षेत्र में और उसके आसपास के गांवों में बारूदी सुरंगें बिछा दी हैं, जिसकी चपेट में आने से कई लोग हताहत हुए हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बुधवार को यह जानकारी दी। मानवाधिकार समूह के अनुसार, इस क्षेत्र का दौरा करने वाले उसके शोधकर्ताओं ने पाया कि लोगों के मकानों और गिरजाघरों के आसपास बिछाई गईं बारूदी सुरंगों में कम से कम 20 लोग मारे गए और कई अन्य लोग दिव्यांग हो गए। शोधकर्ताओं ने एक ऐसे क्षेत्र में ग्रामीणों से बातचीत की, जहां फरवरी 2021 में म्यांमा की लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को बाहर कर देश की बागडोर सेना के अपने हाथ में लेने के बाद से सेना जातीय करेनी सशस्त्र समूहों का मुकाबला कर रही है।ओटावा कन्वेंशन’ (1997) सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय समझौतों के तहत दुनिया भर में हजारों लोगों की हत्या और उनके विकलांग होने का कारण बने हथियारों पर रोक लगाने के इरादे से मानवों को निशाना बनाने वाली बारूदी सुरंगों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल क्राइसिस रिस्पॉन्स’ के उप निदेशक मैट वेल्स ने एक बयान में कहा, ‘‘ म्यांमा की सेना द्वारा बारूदी सुरंगों का इस्तेमाल घृणित एवं क्रूर है। विश्व भर में जब ऐसे हथियारों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, तब सेना ने उन्हें लोगों के बरामदों, मकानों और यहां तक कि सीढ़ियों तथा गिरजाघरों के आसपास भी बिछा दिया है।’’ एमनेस्टी की रिपोर्ट के अनुसार, काया के करीब 20 गांवों में बारूदी सुरंग बिछाई गई हैं। रिपोर्ट में जातीय समूहों द्वारा पहले लगाए आरोपों की पुष्टि की गई है। गौरतलब है कि करेनी मानवाधिकार समूह ने इस महीने की शुरुआत में आरोप लगाया था कि सैन्य बल काया के गांवों तथा बस्तियों में बारूदी सुरंग बिछा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने भी पिछले महीने बताया था कि देश के कई क्षेत्रों में बारूदी सुरंगों और गैर-विस्फोटित आयुधों के कारण कई बच्चों की जान गई और कई दिव्यांग हो गए। इसमें सबसे अधिक बच्चे उत्तरपूर्वी म्यांमा के शान राज्य से थे।