यूक्रेन संघर्ष ने राजनीतिक रूप से लाभ उठाने की गुंजाइश बढ़ा दी है: जयशंकर

भारत ने रूस-यूक्रेन जंग पर तटस्थ रुख अपनाया है। भारत ने शांति की तथा कूटनीति के माध्यम से जंग को समाप्त करने की जरूरत बताई है। जयशंकर ने कहा कि व्यापार से लेकर पर्यटन तक हर चीज का ‘शस्त्रीकरण’ अंतरराष्ट्रीय मामलों में और अधिक बदलाव ला रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ सालों में हमने देखा है कि किस तरह व्यापार, संपर्क, ऋण, संसाधन और यहां तक पर्यटन भी राजनीतिक दबाव के बिंदु बन गये हैं। यूक्रेन संघर्ष ने राजनीतिक रूप से लाभ उठाने की गुंजाइश को बढ़ा दिया है।’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत के पास अब वैश्विक परिदृश्य को आकार देने की क्षमता है और उसकी यह जिम्मेदारी भी है जैसा कि चतुष्कोणीय सुरक्षा संवाद (क्यूएसडी) या क्वाड जैसी प्रणालियों में व्यक्त किया गया है।

जयशंकर ने कहा, ‘‘भारत न केवल अपने कल्याण के लिए खड़ा है बल्कि वैश्विक दक्षिण की ओर से भी बोलता है।’’ उन्होंने कहा कि भारत की जाहिर तौर पर वैश्विक राजनीति में तनाव को कम करने में हिस्सेदारी है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास अब वैश्विक परिदृश्य को आकार देने की क्षमता है और यह हमारी जिम्मेदारी है। यह हिंद-प्रशांत जैसी नयी अवधारणाओं में व्यक्त किया गया है, क्वाड या आई2यू2 जैसी प्रणालियों में व्यक्त किया गया है या अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसी पहलों में व्यक्त किया गया है। आर्थिक मोर्चे पर हम दुनिया के साथ सहभागिता के तरीके और सीमा को लेकर विवेकपूर्ण रहे हैं।’’ आई2यू2 समूह में भारत, इजराइल, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका हैं। इसका पहला डिजिटल सम्मेलन इस साल जुलाई में आयोजित किया गया था। क्वाड ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका के बीच रणनीतिक सुरक्षा संवाद का मंच है।

जयशंकर ने कहा, ‘‘भारत में बड़ा हिस्सा संवेदनशील आबादी का है। देश को प्रमुख नकारात्मक प्रवृत्तियों के प्रभाव को कम करना होगा। हम अपने कल्याण के लिए खड़े होते हैं और वैश्विक दक्षिण की ओर से भी बोलते हैं।’’ ताइवान को लेकर भारत के कूटनीतिक रुख को जानना चाह रहे एक छात्र से बातचीत में विदेश मंत्री ने कहा कि देश को सेमीकंडक्टर उद्योग के विकास के लिए माहौल बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘आज दुनिया में सेमीकंडक्टर पर बड़ी बहस हो रही है। भारत में हमने इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन शुरू किया है। सरकार की ओर से भारतीय उद्योग को प्रोत्साहित करने के प्रयास किये जा रहे हैं ताकि विदेशी प्रौद्योगिकी साझेदारों, चिप मालिकों के साथ साझेदारी बढ़ाई जा सके।’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘लेकिन इसके लिए न केवल भौतिक माहौल जरूरी है बल्कि मानवीय प्रतिभा के लिए ज्ञान का वातावरण भी जरूरी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *