कुश्ती संघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। बृजभूषण के खिलाफ कई नामी पहलवान दिल्ली में धरने पर बैठे हैं। ये दूसरी बार है जब पहलवान इस मामले में के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके पहले जनवरी में भी पहलवानों ने कई दिनों तक प्रदर्शन किया था।
प्रदर्शनकारी पहलवानों ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष पर मनमाने तरीके से संघ चलाने और महिला पहलवानों का यौन शोषण करने का आरोप लगाया है। इन आरोपों के बाद बृजभूषण को कुश्ती संघ के कामकाज से जरूर दूर कर दिया गया है, लेकिन अब तक उनपर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
उधर, प्रदर्शनकारी पहलवानों के समर्थन में कई राजनीतिक दल उतर आए हैं। पश्चिमी यूपी, पंजाब और हरियाणा की कई खाप पंचायतें भी पहलवानों के समर्थन में हैं। इतने विरोध के बावजूद बृजभूषण शरण सिंह पर आखिर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? भाजपा का इस मामले में क्या रुख है? बृजभूषण शरण सिंह की सियायत का पूर्वांचल में कितना असर है? आइए समझते हैं…
इसी साल जनवरी में पहलवानों ने पहली बार कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन किया था। पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर में धरने पर बैठे थे। पहलवानों कुश्ती संघ के अध्यक्ष पर मनमाने तरीके से संघ चलाने और कई महिला पहलवानों के यौन शोषण करने का आरोप लगाया था।इसके बाद बृजभूषण शरण सिंह को कुश्ती संघ के कामकाज को दूर कर दिया गया और उनके खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए समिति बना दी गई। इस समिति ने पांच अप्रैल को अपनी रिपोर्ट सौंप दी, लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया।जांच समिति की सदस्य रहीं बबीता फोगाट ने समिति की रिपोर्ट से असहमति जताई है और एक सदस्य पर बदसलूकी के आरोप भी लगाए हैं। इसके बाद पहलवानों ने रविवार (23 अप्रैल) को फिर से दिल्ली के जंतर-मंतर में प्रदर्शन शुरू कर दिया।
भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा ने आईओए की कार्यकारी समिति की बैठक के बाद कहा, ‘पहलवानों का सड़क पर प्रदर्शन करना अनुशासनहीनता है । इससे भारत की छवि खराब हो रही है ।’ पीटी उषा की बात सुनते ही साक्षी और विनेश रो पड़ीं।साक्षी ने कहा- ये सुनकर बहुत दुख हुआ क्योंकि एक महिला खिलाड़ी होकर भी वह महिला खिलाड़ियों की नहीं सुन रही हैं। हम बचपन से उनको फॉलो करते आए हैं। हमने कहां अनुशासनहीनता कर दी? हम तो शांति से यहां बैठे हैं। अगर हमारी सुनवाई हो जाती तो हम यहां बैठते भी नहीं। तीन महीने इंतजार करने के बाद हम यहां बैठे हैं।
अगले साल देशभर में लोकसभा चुनाव होना है। इसके ठीक बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव भी है। बृजभूषण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले ज्यादातर खिलाड़ी हरियाणा से ही हैं। अब हरियाणा की खाप पंचायतों ने भी इन पहलवानों का समर्थन कर दिया है। किसान संगठन भी इनके समर्थन में उतर आए हैं। प्रदर्शनकारी ज्यादातर खिलाड़ी जाट समुदाय से आते हैं। यही कारण है कि अब भाजपा के खिलाफ ये राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है।राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय कुमार सिंह कहते हैं, ‘ बृजभूषण को लेकर भाजपा असमंजस में है। किसान आंदोलन के समय भी बड़ी संख्या में जाट समुदाय के लोगों ने केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था। अब एक बार फिर से यही माहौल बनता दिख रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खाप पंचायतें भी पहलवानों के समर्थन में उतर आईं हैं। ऐसे में अगर समय रहते इसे निस्तारित नहीं किया गया तो आने वाले चुनावों में भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।’प्रो. अजय आगे कहते हैं, ‘बृजभूषण सिंह भी पूर्वांचल के बाहुबली नेता हैं। बृजभूषण शरण की राजपूत वर्ग के मतदाताओं के बीच अच्छी पैठ मानी जाती है। बृजभूषण खुद छह बार के सांसद रह चुके हैं। उनकी पत्नी भी सांसद रह चुकी हैं। उनके बेटे प्रतीक भी दो बार से विधायक हैं। ऐसे में अगर बृजभूषण पर कार्रवाई होती है तो पूर्वांचल में भाजपा के लिए समीकरण बिगड़ सकता है। वहीं, अगर कार्रवाई नहीं होती है तो हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी यूपी के जाट नाराज हो सकते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘बृजभूषण के समर्थन में भी बड़ी संख्या में खिलाड़ी और खेल संघ के पदाधिकारी हैं। ऐसे में उनको भी मैनेज करना जरूरी है। इन खेल संघों का कहना है कि अगर इस तरह से अध्यक्ष पर कार्रवाई होने लगी तो आने वाले दिनों में अपने हित के लिए कोई भी खिलाड़ी किसी भी पदाधिकारी पर आरोप लगाने लगेगा। इसका काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है।’
गोंडा के रहने वाले बृज भूषण सिंह कैसरगंज से भारतीय जनता पार्टी सांसद हैं। छात्र जीवन से ही राजनीतिक तौर पर सक्रिय रहे बृज भूषण शरण सिंह का युवा जीवन अयोध्या के अखाड़ों में गुजरा। पहलवान के तौर पर वे खुद को ‘शक्तिशाली’ कहते हैं। कॉलेज के दौर में ही वे छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए।1991 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने जाने वाले बृज भूषण सिंह, 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 में भी लोकसभा पहुंचे। बृज भूषण सिंह 2011 से ही कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भी हैं। 2019 में वे कुश्ती महासंघ के तीसरी बार अध्यक्ष चुने गए थे।1988 में वह भाजपा से जुड़े और फिर पहली बार 1991 में रिकॉर्ड मतों से सांसद बने। हालांकि मतभेद के चलते उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी और 2009 के लोकसभा चुनाव में वे सपा के टिकट पर कैसरगंज से जीते। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो गए। 2014 और 2019 में फिर से भाजपा के टिकट पर जीते।
बृजभूषण शरण सिंह का प्रभुत्व गोंडा के साथ-साथ बलरामपुर, अयोध्या और आसपास के जिलों में भी है। बृजभूषण 1999 के बाद से अब तक एक भी चुनाव नहीं हारे हैं। बृजभूषण शरण सिंह के बेटे प्रतीक भूषण भी राजनीति में हैं। प्रतीक गोंडा से बीजेपी विधायक हैं।
बृजभूषण शरण सिंह की छवि एक हिंदुवादी नेता के तौर पर रही है। अयोध्या के बाबरी विध्वंस मामले में भी बृजभूषण अभियुक्त भी रहे। हालांकि, सितंबर 2020 में कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया।