मुस्लिम लड़की अगर युवावस्था की उम्र प्राप्त कर लेती है तो वह अपने माता-पिता की सहमति के बिना भी शादी कर सकती है। उसे अपने पति के साथ रहने का पूरा अधिकार है। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने एक मुस्लिम नाबालिग लड़की और एक मुस्लिम व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है। बता दें कि दोनों बिहार में धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार शादी करने के लिए भाग गए थे। दंपति ने अदालत से सुरक्षा के साथ-साथ यह सुनिश्चित करने के निर्देश भी मांगे कि कोई भी उन्हें एक-दूसरे से अलग न करे। बता दें कि लड़की के माता-पिता इस शादी का विरोध कर रहे हैं और उन्होंने लड़के के के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज किया है।न्यायमूर्ति सिंह ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘यदि लड़की ने यौवन को प्राप्त कर लिया है तो फिर वह अपने परिजनों की मंजूरी के बिना ही मुस्लिम लॉ के तहत शादी कर सकती है और अपने पति के साथ रह सकती है। भले ही वह नाबालिग ही हो। उसके पति पर पॉक्सो के नियम लागू नहीं होंगे।’ बेंच ने आगे कहा कि अगर किसी लड़की ने अपनी मर्जी से शादी की है और वह अपने पति के साथ खुश है तो प्रशासन भी उनके निजी जिंदगी में दखल नहीं दे सकता है। कोर्ट ने 11 मार्च को शादी करने वाले दंपत्ति की अर्जी पर सुनवाई की है।लड़की के परिवार वालों का कहना है कि बेटी 15 साल की है और जिससे शादी की है वह 25 साल का है। कोर्ट ने इस पर कहा कि इन लोगों के फैसले में दखल देना उनके निजी जिंदगी में हमाल करना जैसा होगा। लड़की के परिजनों ने 5 मार्च को द्वारका जिले में आईपीसी के सेक्शन 376 और पॉक्सो ऐक्ट के तहत केस दर्ज कराया था। सुनवाई के दौरान लड़की की उम्र 19 साल हो गई है और वह गर्भवती है। कोर्ट ने कहा कि लड़की गर्भवती है और वह अपनी मर्जी के साथ लड़के के साथ गई थी और शादी की। लड़की ने कहा कि उसके परिवार वालें उसकी पिटाई करते थे और किसी और लड़के से शादी करने का दबाव बनाते थे।