रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि पिछले दो दशकों में यह देखा गया है कि आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के बीच की खाई कम हो रही है और किसी देश की सुरक्षा को नष्ट करने के लिए उसकी स्वतंत्र मीडिया, न्यायपालिका, गैर सरकारी संगठनों और गतिमान लोकतंत्र का दुरुपयोग किया जा सकता है। रक्षा मंत्री सिंह गुजरात में गांधीनगर जिले के लवड गांव स्थित राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) के दूसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने राज्य एजेंसियों के एकीकृत तरीके से काम करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। सिंह ने कहा कि बदलते समय के साथ सुरक्षा संबंधी आयामों में व्यापक बदलाव आया है। उन्होंने कहा, सिंह ने कहा, हम सुरक्षा को आम तौर पर दो पहलुओं से देखते हैं – आंतरिक और बाह्य। लेकिन पिछले दो दशकों में देखा गया है कि आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के बीच की खाई कम होती जा रही है… मिश्रित (हाइब्रिड) युद्ध में, आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के बीच की रेखा करीब-करीब लुप्त हो जाती है। रक्षा मंत्री ने कहा कि किसी देश की सुरक्षा को नष्ट करने के लिए काम करने वाली ताकतें सोशल मीडिया, गैर सरकारी संगठनों, न्यायपालिका और लोकतंत्र का दुरुपयोग कर सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘स्वतंत्र सोशल मीडिया का उपयोग सुनियोजित दुष्प्रचार के लिए किया जा सकता है। सोशल मीडिया की स्वतंत्रता खराब नहीं है, मीडिया को स्वतंत्र होना चाहिए, लेकिन यदि मीडिया स्वतंत्र है, तो इसका दुरुपयोग भी किया जा सकता है …।’’ सिंह ने कहा, ‘‘अगर गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) स्वतंत्र हैं तो उन्हें इस तरह इस्तेमाल करने का प्रयास किया जाता है कि देश की पूरी व्यवस्था ठप हो जाए। यदि न्यायपालिका स्वतंत्र है, तो कानूनी प्रणाली का इस्तेमाल कर विकास कार्यों को रोकने या धीमा करने के लिए इसका उपयोग करने का प्रयास किया जाता है। यदि किसी देश में गतिशील लोकतंत्र है, तो उसकी एकता और सुरक्षा को निशाना बनाने के लिए राजनीतिक दलों में घुसने करने का प्रयास किया जाता है।’’ रक्षा मंत्री ने कहा कि ये सब सिर्फ कल्पना नहीं हैं, बल्कि रणनीतिकारों के बयान हैं और कुछ देशों के सुरक्षा दस्तावेजों में विस्तृत रूप से वर्णित हैं। उन्होंने कुछ खबरों का उदाहरण दिया जिनमें कहा गया था कि कोरेगांव-भीमा (2018 में महाराष्ट्र के पुणे जिले में) में हिंसा मामले में 50 प्रतिशत ट्वीट पाकिस्तान से किए गए थे।