सफल रहा नासा का डार्ट मिशन

पृथ्वी की रक्षा करने के लिए शुरू किए गए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मिशन ने सफलता हासिल की है। नासा का डार्ट मिशन सफल होने के साथ ही इतिहास भी बना गया है। डार्ट मिशन के नतीजे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने हाल ही में घोषित किए है। नासा के अंतरिक्ष यान से टकराने वाले एस्टेरॉयड की लंबाई 520 फीट बताई गई है।

बता दें कि 550 किलोग्राम वजन के अंतरिक्ष यान से 500 करोड़ किलोग्राम के वजन के एस्टेरॉयड ने टकराने की जगह अपनी दिशा में बदलाव कर लिया। यानी भविष्य में अगर कोई एस्टेरॉयड धरती के लिए खतरा बनता है तो उसे आने से पहले ही अंतरिक्ष में मोड़ा जा सकेगा। जानकारी के मुताबिक एस्टेरॉयड और अंतरिक्ष यान के बीच में टक्कर 27 सितंबर 2022 की सुबह 4.45 बजे कराई गई थी। इस टक्कर में मिली सफलता के बाद नासा के प्रमुख बिल नेल्सन ने बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि एस्टेरॉयड का मुड़ना सिर्फ नासा नहीं बल्कि धरती के हर जीव के लिए बड़ी उपलब्धि है। धरती को एस्टेरॉयड से बचाने के लिए इस तरह के मिशनों को अब आसानी से लॉन्च किया जा सकेगा।

टक्कर के बाद हुआ ये

नासा के मुताबिक अंतरिक्ष यान एस्टेरॉयड से टकराया। इस टकराव के कारण उसमें एक बड़ा गड्ढा हो गया। इस टकराव के बाद मलबा भी अंतरिक्ष में फैला। हालांकि अभी ये जानकारी नहीं मिली है कि इस टक्कर का अंतरिक्ष यान पर क्या और कितना असर हुआ है। वहीं दोनों के बीच हुई टक्कर के बाद अंतरिक्ष में धूल, पत्थरों के टुकड़े आदि बिखर गए है। अंतिरक्ष में इसकी हजारों किलोमीटर लंबी पूंछ बन गई है।

हुआ है ये बदलाव

नासा के अनुसार यान से टक्कर होने से पहले तक एस्टेरॉयड ने एक ऑरबिट का चक्कर लगाने में 11 घंटे 55 मिनट का समय लिया था। मगर दोनों के बीच टक्कर होने के बाद एस्टेरॉयड की गति में भी परिवर्तन आया है। संभावना है कि इसमें 32 मिनट की कमी दर्ज की गई है।

जानें क्यों हुआ था ये परिक्षण

जानकारी के मुताबिक धरती की तरफ अंतरिक्ष में कई बार एस्टेरॉयड आते रहते है। ऐसे में नासा ने कोशिश की थी कि इस परीक्षण में एस्टेरॉयड की दिशा बदलने की टेस्टिंग की जाए। वहीं इस परिक्षण के सफल होने से अंतरिक्ष की दुनिया में काफी राहत मिली है। बता दें कि इससे पूर्व बीते वर्ष एस्टेरॉयड 500 किलोमीटर की रफ्तार से एक यान से टकराया था।

इसलिए अहम है मिशन

हालांकि कहा जाता है कि अंतरिक्ष के अधिकतर एस्टेरॉयड पृथ्वी के लिए खतरनाक नहीं होते है। मगर अगर कोई एस्टेरॉयड भविष्य में ऐसा आता है जो पृथ्वी के लिए खतरा हो सकता है, तो उससे बचना इस तकनीक के जरिए लाभकारी हो सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *