सीआर पाटिल का दावा, नवंबर अंत तक समाप्त हो जाएंगे गुजरात विधानसभा चुनाव

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की गुजरात इकाई के प्रमुख सीआर पाटिल ने सोमवार को दावा किया कि राज्य में पिछले दो विधानसभा चुनावों के उलट आगामी चुनाव नवंबर के अंत तक समाप्त होने की संभावना है। गुजरात में पिछले दो विधानसभा चुनाव दिसंबर के मध्य तक चले थे। पाटिल अहमदाबाद से लगभग 80 किलोमीटर दूर आणंद में पन्ना समिति के एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। हालांकि, उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि यह उनका ‘‘राजनीतिक अनुमान’’ है और उन्होंने किसी भी चुनाव प्राधिकारी से बात नहीं की है। विपक्षी कांग्रेस ने पाटिल के बयान को लेकर निशाना साधा। कांग्रेस के नेता दीपक बाबरिया ने दावा किया कि इससे पता चलता है कि भाजपा शासित केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग जैसे संवैधानिक निकायों को किस तरह से ‘‘कमजोर कर दिया है और नियंत्रण में कर लिया है।’’पाटिल ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि (विधानसभा) चुनाव नवंबर के अंत तक खत्म हो जाएगा। 2012 और 2017 के (विधानसभा चुनाव के) दौरान चुनाव 12 दिसंबर तक खत्म हुए थे। मुझे यह किसी ने नहीं बताया है और न ही मैंने इस बारे में किसी से बात की है।’’ वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव दो चरणों में 9 और 14 दिसंबर को हुए थे और वोटों की गिनती 18 दिसंबर को हुई थी। 2012 के चुनाव भी दो चरणों में 13 और 17 दिसंबर को हुए थे और परिणाम 20 दिसंबर को घोषित किए गए थे। वर्तमान गुजरात विधानसभा का कार्यकाल 18 फरवरी, 2023 को समाप्त होना है। पाटिल ने कहा कि वह मतदान की तारीखों की घोषणा करने के लिए अधिकृत नहीं हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं से सतर्क और तैयार रहने का आह्वान किया। कांग्रेस द्वारा भाजपा पर निशाना साधे जाने के बाद पाटिल ने बाद में स्पष्ट किया कि उनका बयान केवल गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव आयोग की गतिविधियों पर आधारित है। पाटिल ने वडोदरा में संवाददाताओं से कहा, ‘‘चुनाव आयोग ने जिस तरह से अधिकारियों को चुनाव की तैयारियां करने के लिए सूचित किया है, मुझे लगता है कि चुनाव (सामान्य तारीख से) 8-10 दिन पहले नवंबर के अंत तक समाप्त हो सकता है। मैंने स्पष्ट कर दिया था कि मैंने इस बारे में किसी से भी बात नहीं की है और यह सिर्फ मेरा राजनीतिक अनुमान है।’’  कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दीपक बाबरिया ने पलटवार करते हुए कहा, ‘‘यह बयान इस बात को प्रतिबिंबित करता है कि केंद्र सरकार ने संवैधानिक निकायों को कैसे कमजोर कर दिया है और उन्हें अपने नियंत्रण में कर लिया है। यह इसका एक उदाहरण है कि वे चुनाव आयोग के अधिकारियों को कैसे निर्देश दे रहे हैं।’’ इस बीच, आणंद में एक कार्यक्रम में पाटिल ने पार्टी के पन्ना समिति प्रमुखों से चुनाव तक हर दिन पन्ना समिति के कम से कम एक सदस्य के घर चाय पीने के लिए जाने का अनुरोध किया। उन्होंने भाजपा की जीत का श्रेय पन्ना समिति के सदस्यों को दिया। उन्होंने दावा किया, ‘‘विधानसभा की नौ सीटें कभी कांग्रेस के पास थीं, लेकिन भाजपा ने पन्ना समिति के सदस्यों के दम पर जीत हासिल की। ​​इसी तरह भाजपा ने पन्ना समिति के सदस्यों के कारण स्थानीय निकाय चुनावों में 90.5 फीसदी सीटें जीतीं और सभी छह नगर निगमों में भी जीत हासिल की।

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