हाथरस कांड में बड़ा फैसला: आरोपी संदीप को आजीवन कारावास की सजा

हाथरस के बहुचर्चित बिटिया प्रकरण में 900 दिन बाद फैसला आया है। कोर्ट ने एक आरोपी संदीप को आजीवन कारावास की सजा के साथ 50 हजार का जुर्माना लगाया है। इससे पहले कोर्ट ने चारों अभियुक्तों में से एक को दोषी पाया था। शेष तीन आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया था। वहीं, बिटिया पक्ष के अधिवक्ता महीपाल सिंह निमहोत्रा ने कहा कि 14 सितंबर 2020 को हुए हाथरस कांड में एससी-एसटी कोर्ट ने अभियुक्त संदीप को दोषी पाया है।

लवकुश, रामू और रवि को दोषमुक्त कर दिया है। आरोपी संदीप को आईपीसी की धारा 304 एससी-एसटी एक्ट के लिए दोषी माना है, दुराचार का आरोप सिद्ध नहीं हुआ है। दोषी संदीप ठाकुर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। 50 हजार का जुर्माना भी लगाया है।

बिटिया पक्ष के वकील महीपाल सिंह निमहोत्रा ने कहा कि न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे। सीबीआई ने सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामलों में चार्ज शीट दाखिल की था।

अभियुक्त पक्ष के अधिवक्ता मुन्ना सिंह पुंढीर ने बताया कि मामले में दुष्कर्म और धारा 302 को सिद्ध नहीं कर पाए हैं, एक अभियुक्त को केवल धारा 304 और एससी-एसटी एक्ट में दोषी पाया है। बाकी तीन को बरी कर दिया है।

अभियुक्त पक्ष के अधिवक्ता मुन्ना सिंह पुंडीर का कहना है कि चौथा आरोपी संदीप भी निर्दोष है। संदीप को बेगुनाह साबित करने के लिए हाई कोर्ट जाएंगे।

यह था मामला
हाथरस के चंदपा इलाके के एक गांव में 14 सितंबर 2020 को अनुसूचित जाति की एक युवती के साथ दरिंदगी हुई थी। गांव के ही चार युवकों ने दुष्कर्म किया था और उसकी गला दबाकर हत्या करने का प्रयास किया था। 29 सितंबर 2020 में युवती ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया था। पुलिस ने युवती के बयान के आधार पर चारों अभियुक्त संदीप, रवि, रामू व लवकुश को गिरफ्तार कर लिया था।

मामले की विवेचना सीबीआई ने की थी। सीबीआई ने चारों अभियुक्तों संदीप, रवि, रामू व लवकुश के खिलाफ आरोपत्र विशेष न्यायाधीश (एससी-एसटी एक्ट) के न्यायालय में दाखिल किया था। सीबीआई ने आरोप पत्र धारा 302, 376 ए, 376 डी, व एससी-एसीटी एक्ट के तहत दाखिल किया था। सीबीआई ने 67 दिनों तक विवेचना की।

कब-कब क्या-क्या हुआ

14 सितंबर 2020 को चंदपा क्षेत्र के एक गांव में अनुसूचित जाति की एक युवती के साथ दरिंदगी हुई। जिला अस्पताल से अलीगढ़ जेएन मेडिकल कॉलेज भेजा। पुलिस ने एक आरोपी संदीप के खिलाफ दर्ज किया जानलेवा हमले व एससी-एसटी उत्पीड़न के तहत मुकदमा दर्ज।
19 सितंबर को पुलिस ने नामजद आरोपी संदीप को किया गिरफ्तार।
22 सितंबर को बिटिया के बयान के आधार पर सामूहिक दुष्कर्म की धारा 376 डी बढ़ाई और तीन अन्य अभियुक्तों के नाम किए शामिल।
23 सितंबर को दूसरे आरोपी लवकुश को पुलिस ने किया गिरफ्तार।
25 सितंबर को तीसरे आरोपी रवि को पुलिस ने किया गिरफ्तार। तत्कालीन कोतवाली निरीक्षक चंदपा को किया गया लाइनहाजिर।
26 सितंबर को चौथे आरोपी रामू को पुलिस ने किया गिरफ्तार।
28 सितंबर बेहद गंभीर हालत में बिटिया को अलीगढ़ के मेडिकल कॉलेज से दिल्ली किया रेफर।
29 सितंबर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में बिटिया ने तोड़ा दम। परिजनों की इच्छा के बिना प्रशासन ने मध्य रात्रि को किया बिटिया के शव का अंतिम संस्कार।
2 अक्तूबर तत्कालीन एसपी, सीओ सहित पांच पुलिसकर्मी किए निलंबित।
4 अक्तूबर को प्रदेश सरकार ने इस मामले में सीबीआई जांंच कराने की संस्तुति की।
11 अक्तूबर को सीबीआई ने इस मामले में जांच शुरू की।
21 नवंबर को सीबीआई अलीगढ़ जेल में बंद चारों अभियुक्तों को गुजरात ले गई पॉलीग्राफ व ब्रेन मैपिंग जांच कराने के लिए।
06 दिसंबर को फिर गुजरात से अलीगढ़ जेल में किया निरुद्ध।
18 दिसंबर 2020 को सीबीआई ने जांच के बाद हाथरस के विशेष न्यायालय (एससी-एसटी एक्ट) में चारों अभियुक्तों के खिलाफ दाखिल किया आरोप पत्र।
02 मार्च 2023 को कोर्ट ने एक आरोपी को दोषी माना और तीन को किया बरी।

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