संजय सिंह समेत अब तक कुल 24 सांसद हो चुके हैं निलंबित

आम आदमी पार्टी के सदस्य संजय सिंह को संसद की कार्रवाई से निलंबित कर दिया है। संजय सिंह को नारेबाजी करने, पेपर फाड़कर स्पीकर की चेयर की ओर से उछालने के मामले में ये एक्शन हुआ है। बता दें कि राज्यसभा के 20 सांसदों समेत 24 सांसदों को अब तक निलंबित किया जा चुका है। तृणमूल सांसद डोला सेन ने कहा कि 20 निलंबित राज्यसभा सांसद संसद परिसर में 50 घंटे तक रिले विरोध करेंगे। प्रश्नकाल के लिए सदन की बैठक के तुरंत बाद, उपसभापति हरिवंश ने नियम 256 लागू किया और संजय सिंह का नाम लेते हुए कहा कि उनकी कार्रवाई नियमों और अध्यक्ष के अधिकार की पूरी तरह से अवहेलना थी। इसके बाद संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने सिंह को शेष सप्ताह के लिए सदन से निलंबित करने का प्रस्ताव पेश किया।

निलंबन के बाद संजय सिंह बोले- जवाब मांगता रहूंगा

संजय सिंह ने अपने निलंबन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह अभी भी सदन में हैं और “गुजरात में जहरीली शराब के कारण 55 मौतों के लिए जवाब मांगते रहेंगे”। उन्होंने अपने निलंबन की बात करते हुए चेयर के एक वीडियो क्लिप के साथ हिंदी में ट्वीट किया, “मोदी जी ने मुझे निलंबित कर दिया होगा, लेकिन गुजरात में जहरीली शराब से हुई 55 मौतों का जवाब मांगते हुए लड़ते रहेंगे। मैं अब घर में हूं।”

अब तक 24 सांसदों पर हुई कार्रवाई 

कांग्रेस के चार लोकसभा सांसदों के अलावा 19 राज्यसभा सासंदों को भी मानसून सत्र के दौरान निलंबन झेलना पड़ा है। जिन सांसदों को निलंबित किया गया है उनमें सुष्मिता देव, मौसम नूर, शांता छेत्री, डोला सेन, शांतनु सेन, अभि रंजन बिस्वार, नदीमुल हक, हमाम अब्दुल्ला, बी. लिंगैया यादव, एए रहीम, रविहंद्र वद्दीराजू, एस. कल्याणसुंदरम, आर गिररंजन, एनआर एलंगो, वी. शिवदासन, एम. षणमुगम, दामोदर राव दिवाकोंडा, संदोश कुमार पी., डॉ. कनिमोझी एनवीएन सोमू शामिल हैं।

पीठासीन अधिकारियों के पास क्या अधिकार हैं?

सांसदों को संसदीय शिष्टाचार के कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है। उदाहरण के लिए लोकसभा की नियम पुस्तिका यह निर्दिष्ट करती है कि सांसदों को दूसरों के भाषण को बाधित नहीं करना है, शांति बनाए रखना है और बहस के दौरान टिप्पणी करने या टिप्पणी करने से कार्यवाही में बाधा नहीं डालनी है। विरोध के नए रूपों के कारण 1989 में इन नियमों को अद्यतन किया गया। अब सदन में नारेबाजी, तख्तियां दिखाना, विरोध में दस्तावेजों को फाड़ने और सदन में कैसेट या टेप रिकॉर्डर बजाने जैसी चीजों की मनाही है। राज्यसभा में भी ऐसे ही नियम हैं।

नियम 256 के तहत सांसदों का निलंबन

यदि सभापति आवश्यक समझे तो वह उस सदस्य को निलंबित कर सकता है, जो सभापीठ के अधिकार की अपेक्षा करे या जो बार-बार और जानबूझकर राज्य सभा के कार्य में बाधा डालकर राज्य सभा के नियमों का दुरूपयोग करे। सभापति सदस्य को राज्य सभा की सेवा से ऐसी अवधि तक निलम्बित कर सकता है जबतक कि सत्र का अवसान नहीं होता या सत्र के कुछ दिनों तक भी ये लागू रह सकता है। निलंबन होते ही राज्यसभा सदस्य को तुरंत सदन से बाहर जाना होगा।

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