असम की विपक्षी पार्टी असम जातीय परिषद (एजेपी) ने रविवार को दावा किया कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में खासतौर पर तिनसुकिया में कोयले के अवैध खनन की वजह से हर महीने सरकार को दो हजार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। पार्टी ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश, संसद में नेता प्रतिपक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के अध्यक्ष को ज्ञापन भेजकर मामले पर ध्यान आकर्षित कराया है।एजेपी अध्यक्ष लुरिनज्योति गोगोई ने ‘पीटीआई-भाषा’से कहा, ‘‘हमने अवैध कोयला खनन खासतौर पर संकरी खदानों से खनन के मुद्दे को रेखांकित किया है।इसका प्रत्यक्ष असर पर्यावरण, जन स्वास्थ्य और राजकोष पर पड़ रहा है।’’ उन्होंने दावा किया कि अवैध कोयला खनन की जानकारी सरकार को है जो कई दशकों से असम में बिना-रोक टोक के चल रहा है और इसने दिहिंग पटकाई राष्ट्रीय अभयारण्य को नुकसान पहुंचाया जो पूर्वोत्तर में सबसे बड़ा वर्षा वन है।
एजेपी ने अपने ज्ञापन में रेखांकित किया है कि वर्ष 2014 में एनजीटी ने संकरी सुरंगनुमा खदानों से कोयले के खनन पर रोक लगाई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि यह अब भी जारी है और असम सरकार को डिगबोई वन डिवीजन में जारी अवैध गतिविधियों की जानकारी है।
गौहाटी उच्च न्यायालय के विभिन्न निर्देशों को रेखांकित करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपकरण कोल इंडिया ने भी वर्ष 2003 से 2019 तक बन क्षेत्र में अवैध खनन कियाऔर इसे स्वयं 2020 में स्वीकार किया। असम की खान एवं खनिज मंत्री नंदिता गोरलोसा से इस संबंध में संपर्क किया गया तो उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि उनके सचिव ‘पीटीआई-भाषा’ से संपर्क करेंगे। हालांकि, कई प्रयासों के बावजूद सरकारी अधिकारी की प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।