वाराणसी की जिला और सत्र अदालत की तरफ से अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति की उस दीवानी मुकदमे को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद के टाइटल और उसके आसपास की भूमिक पर सवाल उठाया गया था। कोर्ट के फैसले पर हिंदू पक्ष की तरफ से खुशी जाहिर की गई थी वहीं मुस्लिम पक्ष ने इस पर ऐतराज जताया था। अब पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने इसको लेकर विवादित बयान दे दिया है। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कोर्ट के ज्ञानवापी के निर्णय पर मुझे अफसोस है क्योंकि कोर्ट अपने फैसलों को नहीं मान रही जिसमें उन्होंने 1947 के बाद सारे धार्मिक जगहों की यथास्थिति को बनाए रखने के लिए कहा था। कोर्ट भाजपा के नरेटिव को आगे बढ़ा रही है
इससे पहले भी ज्ञानवापी श्रृगांर गौरी विवाद को लेकर जिला अदालत के फैसले के बाद महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर अपनी आपत्ति जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि पूजा स्थल अधिनियम के बावजूद ज्ञानवापी पर अदालत के फैसले से दंगा भड़केगा और एक सांप्रदायिक माहौल पैदा होगा जो विडंबना है कि भाजपा का एजेंडा है। यह एक खेदजनक स्थिति है कि अदालतें अपने स्वयं के फैसलों का पालन नहीं करती हैं।
गुलाम नबी आजाद के 370 को लेकर दिए गए बयान पर पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यही भाजपा नागालैंड में अलग संविधान और झंडा दे रही है और उन लोगों से बात कर रही है जिन लोगों ने फौजी गाड़ी को उड़ाया था और हमारे 18 जवान शहिद हुए थे। मेरा मानना है कि (गुलाम नबी) आजाद जी की अपनी राय है।