मणिपुर मुद्दे को लेकर राजनीति जबरदस्त तरीके से जारी है। संसद से सड़क तक के विपक्षी दल भाजपा पर आक्रमण है। हाालंकि, केंद्र सरकार का दावा है कि वह मणिपुर पर चर्चा को तैयार है। बावजूद इसके विपक्षी दल कुछ नियम और शर्तों के तहत चर्चा कराने की मांग कर रहे हैं। विपक्षी दलों की मांग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे पहले मणिपुर पर संसद में बयान देना चाहिए। विपक्षी चौतरफा मोदी सरकार पर निशाना साधा रहा है। वहीं, राज्यसभा के आप सांसद को निलंबित किए जाने का मुद्दा भी बड़ा होता दिकाई दे रहा है।
राघव चड्ढा ने क्या कहा
इन सब के बीच राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि भाजपा मणिपुर में हो रहे अत्याचारों, हैवानियत को छुपाना चाहती है। उन्होंने कहा कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होना चाहिए और केंद्र सरकार को अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हुए राज्य में अमन, शांति और भाईचारा बहाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह सांसदों को निलंबित किया जा रहा है उसका हम विरोध करते हैं। चड्ढा ने कहा कि वे अब इंडिया शब्द से नफरत करने लगे हैं, लेकिन भारत सरकार, स्टार्टअप-इंडिया, डिजिटल इंडिया और अन्य में ‘इंडिया’ है। लोकसभा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि विपक्ष चर्चा से नहीं भाग रहा है। विपक्ष चाहता है कि नियमानुसार चर्चा होनी चाहिए। हमने 276 का नोटिस दिया है जिसमें सारे दिन, जनता के सामने चर्चा हो सकती है, सरकार ऐसी चर्चा से भागकर 2-2.5 घंटे की चर्चा की बात कर रही है। जो लोग मणिपुर के लिए बोल रहे हैं उनको संसद से बाहर किया जा रहा है।
खड़गे का दावा
भाजपा का कहना है कि मणिपुर के साथ-साथ राजस्थान, छत्तीसगढ़ या पश्चिम बंगाल की भी चर्चा होगी चाहिए। इस पर राज्यसभा में विपक्ष के नेता व कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिार्जुन खड़गे ने कहा कि मणिपुर का मुद्दा राजस्थान, छत्तीसगढ़ या पश्चिम बंगाल जैसा नहीं है, यह इससे कहीं अधिक गंभीर है। उन्होंने कहा कि यह देश के पूरे पूर्वोत्तर राज्यों के लिए चिंता का विषय है। मणिपुर के बाद अब मेघालय, मिजोरम में स्थिति बिगड़ रही है। यह अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा का भी मुद्दा है। उन्हें महिलाओं पर हो रहे अत्याचार की कोई चिंता नहीं है।