एक ओर नेताओं की नाराजगी, दूसरी ओर उलझन में कांग्रेस

राजनीति (DID News): हिमाचल प्रदेश में इस साल विधानसभा के चुनाव प्रस्तावित है। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस लगातार मेहनत भी कर रही है। हिमाचल प्रदेश में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रहा है। पिछले चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस को हराकर सत्ता में वापसी की थी। हिमाचल प्रदेश के चुनावी इतिहास को देखें तो यहां 5 साल कांग्रेस और 5 साल भाजपा की सरकार पिछले कई सालों से बनती रही है। लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी की एंट्री से यहां के चुनाव दिलचस्प होते दिखाई दे रहे हैं।

हालांकि, कांग्रेस के लिए फिलहाल सब कुछ सामान्य नहीं है। हिमाचल प्रदेश में चुनाव जीतने की कोशिश में जुटी कांग्रेस के लिए कई सीटों पर मजबूत उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं। यही कारण है कि कांग्रेस की मुश्किलें आगामी चुनाव को लेकर हिमाचल प्रदेश में बढ़ सकती हैं। हिमाचल प्रदेश में वीरभद्र सिंह के निधन के बाद से कांग्रेस में कद्दावर नेता की कमी साफ तौर पर दिखाई दे रही है। हिमाचल प्रदेश से ही आने वाले आनंद शर्मा भी नाराज हैं। इसका असर भी संगठन पर पड़ता दिखाई दे रहा है।

भले ही आनंद शर्मा जमीनी नेता नहीं हैं। लेकिन उनकी नाराजगी से पार्टी पर असर जरूर पड़ रहा है। राजीव शुक्ला को कांग्रेस की ओर से प्रदेश प्रभारी बनाया गया है। इनकी अध्यक्षता में लगातार उम्मीदवारों के नाम पर मंथन किया जा रहा है। आगामी चुनाव को लेकर हिमाचल प्रदेश के लिए मुख्य पर्यवेक्षक के तौर पर भूपेश बघेल को भेजा जा रहा है।

इसके अलावा पर्यवेक्षक के रूप में सचिन पायलट भी मौजूद रहेंगे। कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, चुनाव प्रचार कमेटी के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू समेत कई नेता लगातार रणनीति तय करने में जुटे हुए हैं। 2017 के चुनाव में कांग्रेस को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। पार्टी उससे कहीं न कहीं बचने की कोशिश करते दिखाई दे रही है।

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