पटना में होने वाली बैठक से इन दलों ने बनाई दूरी

बिहार और झारखण्ड (DID News): आज से ठीक नौ दिन बाद यानी 23 जून को पटना में विपक्ष का एक बड़ा कुनबा जुटेगा। लगभग सभी बड़े विपक्षी दलों के नेता शिरकत करेंगे। इस बैठक के जरिए देश को एक बड़ा सियासी संदेश देने की तैयारी है। संभव है कि यहीं से इस बात का भी आधिकारिक एलान हो जाए कि भाजपा के खिलाफ अगला लोकसभा चुनाव विपक्षी दल एकजुट होकर लड़ेंगे। कौन, कहां से कितनी सीट पर लड़ेगा? पूरे विपक्ष की अगुआई कौन करेगा? क्या चुनाव से पहले ही प्रधानमंत्री पद का चेहरा भी घोषित हो जाएगा? अगर हां तो कौन विपक्ष से पीएम पद का उम्मीदवार होगा? इस तरह से सवालों पर भी इस बैठक में चर्चा हो सकती है।

चर्चा इस बात की भी है कि क्या विपक्ष में बैठे कुछ ऐसे भी दल हैं, जो इस गठबंधन में शामिल नहीं होंगे? अगर हां तो लोकसभा चुनाव में ये दल गठबंधन को कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं? आइए समझने की कोशिश करते हैं…

एकजुटता के लिए विपक्ष की क्या रणनीति है ?

विपक्ष अभी उन मुद्दों की तलाश रहा है, जिनके सहारे सभी के बीच सहमति बन सके। अभी तक कुछ मुद्दे ऐसे सामने आए हैं, जिनको लेकर लगभग सभी दल एकसाथ हैं।  इनमें विपक्षी दलों पर जांच एजेंसियों की कार्रवाई से लेकर सरकार पर सांप्रदायिक होने तक के आरोपों पर इन दलों में एका होता दिख रहा है।
विपक्षी दल जातिगत आरक्षण को बढ़ाने, जातिगत जनगणना कराने जैसे मुद्दे पर भी एकजुट होते दिख रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि भाजपा की सरकार क्षेत्रीय और विपक्ष के अन्य राजनीतिक पार्टियों को खत्म करने की कोशिश कर रही है। इसे भी विपक्ष एकजुट होने के लिए मुद्दा बना सकता है।

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