आज धरती के करीब आने वाला है ये एस्टेरॉयड – नासा की चेतावनी

देश – विदेश (DID News): नासा ने चेतावनी दी है कि 26 अक्टूबर को एक एस्टेरॉयड पृथ्वी के बेहद करीब से होकर गुजरेगा। नासा के मुताबिक बीते कुछ महीनों से एस्टेरॉयड एक सामान्य विषय रहा है। अगस्त और सितंबर के महीनों में पृथ्वी के काफी पास से लगभग 35 एस्टेरॉयड गुजर चुके है। वहीं माना जा रहा है कि अक्टूबर के महीने में ये आंकड़ा बढ़ सकता है।

आमतौर पर पृथ्वी के पास से गुजरने वाले ये एस्टेरॉयड काफी सुरक्षित रुप से गुजरते है। उनमें से कुछ ऐसे होते हैं तो पृथ्वी के बेहद करीब आ जाते है। ऐसा ही एक एस्टेरॉयड एक बार चंद्रमा के बेहद करीब आ गया था। माना जाता है कि अंतरिक्ष की ये चट्टानें अगर पृथ्वी से टकरा जाएं तो इससे बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है।

वहीं नासा के मुताबिक 26 अक्टूबर को भी एक एस्टेरॉयड पृथ्वी के बेहद करीब आ सकता है। नासा की मानें तो ये एस्टेरॉयड 2022 UU1 है। इसे नासा की तरफ से लाल झंडी दिखाई गई है। ये एस्टेरॉयड 26 अक्टूबर को 4.1 मिलियन किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से पृथ्वी के पास आएगा। जानकारी के मुताबिक वर्तमान में इसकी गति 25,848 किलोमीटर प्रति घंटा मापी गई है, जो पृथ्वी की ओर आने पर अधिक बढ़ सकती है।

बता दें कि एस्टेरॉयड 2022 UU1 अमोर समूह से ताल्लुक रखता है। इस समूह की खोज हाल ही में 18 अक्टूबर को की गई है। जानकारी के मुताबिक ये एस्टेरॉयड सूर्य का एक चक्कर पूरे 1372 दिन में पूरा करता है। सूर्य से इस एस्टेरॉयड की अधिकतम दूरी 571 मिलियन किलोमीटर और निकटतम दूरी 152 मिलियन किलोमीटर बताई गई है।

हाल ही में नासा ने किया है परिक्षण

पृथ्वी की रक्षा करने के लिए शुरू किए गए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के डार्ट मिशन ने सफलता हासिल की थी। नासा ने इस मिशन के जरिए पृथ्वी की तरफ आने वाले ऐसे घातक एस्टेरॉयड के खतरे को कम करने के उद्देश्य से इस परिक्षण को किया था। जानकारी के मुताबिक धरती की तरफ अंतरिक्ष में कई बार एस्टेरॉयड आते रहते है।

ऐसे में नासा ने कोशिश की थी कि इस परीक्षण में एस्टेरॉयड की दिशा बदलने की टेस्टिंग की जाए। वहीं इस परिक्षण के सफल होने से अंतरिक्ष की दुनिया में काफी राहत मिली है। बता दें कि इससे पूर्व बीते वर्ष एस्टेरॉयड 500 किलोमीटर की रफ्तार से एक यान से टकराया था।

हालांकि कहा जाता है कि अंतरिक्ष के अधिकतर एस्टेरॉयड पृथ्वी के लिए खतरनाक नहीं होते है। मगर अगर कोई एस्टेरॉयड भविष्य में ऐसा आता है जो पृथ्वी के लिए खतरा हो सकता है, तो उससे बचना इस तकनीक के जरिए लाभकारी हो सकता है।

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