पुणे से 50 बार आकर मुंबई में दिया ऑडिशन

अभिनेत्री मोना सिंह कमाल की कलाकार हैं। इंसान वह उससे बढ़िया हैं। कहती हैं, एक कलाकार होने नाते मेरा सामाजिक कर्तव्य है कि मैं ऐसे शो या फिल्में करूं जिससे समाज में एक सार्थक संदेश भी दिया जा सके।  ‘थ्री इडियट्स’ से सिनेमा में मशहूर हुईं मोना सिंह को देश दुनिया ने उनके धारावाहिक ‘जस्सी जैसी कोई नहीं’ से पहचाना। इन दिनों वेब सीरीज ‘कफस’ को लेकर सुर्खियां बना रहीं मोना सिंह ने ‘अमर उजाला’ से एक खास बातचीत में ये राज खोला कि आखिर उन्हें धारावाहिक

वेब सीरीज ‘कफस’ जैसा कोई किस्सा फिल्म इंडस्ट्री में रहते हुए आपकी जानकारी में आया क्या?
यह तो एक काल्पनिक कहानी है सो इस पर टिप्पणी करने का मतलब नहीं है। लेकिन, एक कलाकार होने के नाते मेरी जिम्मेदारी बनती है कि मैं जब किसी शो का हिस्सा बनूं तो उसे समाज को प्रभावित करना चाहिए। एक ऐसा मजबूत संदेश होना चाहिए, जिससे दर्शक भी मनोरंजन के साथ साथ अपना सकें। मेरी फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ और सीरियल ‘जस्सी जैसी कोई नहीं’,  ‘क्या हुआ तेरा वादा’ समाज को प्रभावित करते हैं। एक कलाकार की कहीं न कहीं एक नैतिक जिम्मेदारी भी होती है। नहीं तो आप समाज को वापस क्या दे रहे हो जिसने आपको इतना प्यार दिया।

अच्छा, ‘थ्री इडियट्स’ से किस तरह से जुड़ना हुआ? 
मैं तो बहुत भाग्यशाली रही कि मुझे ‘थ्री इडियट्स’ जैसी फिल्म में काम करने का मौका मिला।  इस फिल्म के लिए न तो कभी ऑडिशन दिया और न ही किसी से जाकर मिली। मैं एक अवार्ड शो की मेजबानी करने अमेरिका गई थी। जहां पर राजू सर ( राजकुमार हिरानी ) को भी अवार्ड मिल रहा था। राजू सर ने मुझे प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद बताया कि तुम्हारे लिए मेरे पास कुछ है, मुंबई जाएंगे फिर बात करेंगे। मैंने कहा भी कि इस तरह की फिल्मी बातों की जरूरत नहीं है। लेकिन, दो महीने बाद राजू सर का फोन आया और ये रोल मुझे मिल गया।

पहली ही फिल्म में दिग्गज कलाकारों के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा
पहली बार बड़े -बड़े स्टार्स के साथ फिल्म कर कर रही थी तो घबराहट बहुत हो रही थी। मैं टीवी इंडस्ट्री से आई थी और मुझे ज्यादा एक्सपोजर भी नहीं मिला था। लेकिन सबने मुझे साथ रखा। पहले दिन सबने शूट पर बोला कि हम तुम्हारे फैन है, क्या काम किया है ‘जस्सी जैसी जैसी कोई नहीं’ में। मुझे लगा कि इतने बड़े स्टार मुझे ऐसा बोल रहे हैं, तो मुझे और क्या चाहिए। आमिर सर जब सामने आते हैं, तो अच्छे अच्छो की बोलती बंद हो जाती है। लेकिन वह इतने अच्छे इंसान हैं कि उन्होंने कभी जाहिर नहीं होने दिया कि वह इतने बड़े स्टार हैं। बड़े एक्टर फलदार पेड़ों की तरह झुके रहते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *