शरद पवार के पास NCP बचाने के लिए कौन से विकल्प बचे

महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में हुई बगावत अब अगले दौर में पहुंच चुकी है। दोनों धड़े पार्टी पर दावा कर रहे हैं। शरद पवार और अजित पवार दोनों ही गुट के अपने-अपने दावे हैं। इस बीच दोनों की ओर से बुधवार को शक्ति प्रदर्शन भी किया जाएगा।एक तरफ अजित पार्टी पर दावा ठोंक रहे हैं तो दूसरी तरफ उनके चाचा शरद पार्टी पर अपनी पकड़ बरकार रखने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। आइए जानते हैं शरद पवार के पास अब पार्टी बचाने के लिए कितने विकल्प बचे हैं? क्या भतीजे अजित पवार से अभी भी समझौते का रास्ता खुला हुआ है?

शरद पवार के पास अभी कितने विकल्प? 
इसे समझने के लिए हमने राजनीतिक और कानूनी जानकारों से बात की। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट चंद्र प्रकाश पांडेय कहते हैं, ‘कानूनी तौर पर पवार के पास तीन विकल्प हैं और वह तीनों ही रास्तों पर आगे बढ़ चुके हैं। पहला उन्होंने  विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और चीफ व्हिप का नाम बदल दिया है। इसके अलावा बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी कर चुके हैं। इसके लिए पार्टी की तरफ से उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष और राज्यपाल को चिट्ठी लिखी है। अब इसपर विधानसभा अध्यक्ष को नियम के अनुसार कार्रवाई करना है।’पांडेय के अनुसार, पवार के पास दूसरा रास्ता न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का है। ये दूसरा चरण होगा। अगर विधानसभा और राज्यपाल से उन्हें राहत नहीं मिलती है तो कोर्ट का रुख अख्तियार कर लेंगे। इसके लिए वह अभी से तैयारी करने लगे हैं। उन्होंने वकीलों से संपर्क भी कर लिया है। ये सबकुछ ठीक उसी तरह होगा, जैसा शिवसेना के मामले में हुआ। इसके अलावा पवार अपने भतीजे अजित के दावे के खिलाफ चुनाव आयोग का भी दरवाजा खटखटा सकते हैं। ऐसी स्थिति में चुनाव आयोग पहले एनसीपी का चुनाव चिह्न सीज करेगा और फिर पूरे मामले की जांच के बाद उचित फैसला देगा।’

राजनीतिक समझौते का भी विकल्प
2019 में भी ऐसा हो चुका है, जब अजित ने बिना शरद पवार को बताए भाजपा को समर्थन देने का फैसला ले लिया था। तब भी अजित ने जल्दी-जल्दी में डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली थी। हालांकि, बाद में उन्हें पलटना पड़ा था और इस्तीफा देकर वह कांग्रेस, शिवसेना के गठबंधन में शामिल हो गए थे। बताया जाता है कि तब भी अजित के साथ शरद पवार ने राजनीतिक समझौता किया था। उन्हें डिप्टी सीएम का पद भी इसी समझौते के तहत मिला था। इसके अलावा पार्टी में पकड़ मजबूत बनाने की छूट भी दी गई थी।जानकारों का कहना है कि पार्टी बचाने के लिए शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले एक बार फिर से अजित के साथ राजनीतिक समझौता करने का भी विकल्प है। ऐसा होता है तो शरद पवार पार्टी बचाने में कामयाब हो जाएंगे। हालांकि, इसकी संभावना काफी कम है। ऐसा इसलिए क्योंकि, जो मांग अजित पवार कर रहे हैं उसे शायद ही शरद पवार स्वीकार करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *